Kaun Kehta Hai (Narendra Chanchal), Kaun Kehta Hai - Narendra Chanchal
Kaun Kehta Hai (Narendra Chanchal), Kaun Kehta Hai - Narendra Chanchal

Kaun Kehta Hai – Narendra Chanchal

जय माँ, जय जय माँ
जय माँ, जय जय माँ

कौन कहता है माँ की ज्योत नहीं बोलती,
श्रद्धा से इसको बुलाने वाला चाहिए,
ज्योत से ज्योत को मिलाने वाला चाहिए ।

भावना से इसको पुकार तो देखिए,
अँखिओं के शीशे में उतार कर तो देखिए ।
सच्च की आवाज में आवाज यह मिलायेगी,
सोया जो तूं नींद में, है तुझ को जगाएगी ।
तेरा इसके चरणो में ध्यान भी तो चाहिए,
सुनने को ध्वनि शुभ कान भी तो चाहिए ।
श्रद्धा से इसको बुलाने वाला चाहिए,
ज्योत से ज्योत को मिलाने वाला चाहिए ॥

सच्ची ज्योत रीझती ना झूठ ना पाखंड से,
प्रेम से बुलाओ ना पुकारे रे घमंड से ।
इसे सरोकार नहीं जोर नहीं शोर से,
यह तो बंध जाती है रे आस्था की डोर से ।
बोले किस भाषा में, ज्ञान भी तो चाहिए,
आत्मा को इसकी पहचान भी तो चाहिए ।
श्रद्धा से इसको बुलाने वाला चाहिए,
ज्योत से ज्योत को मिलाने वाला चाहिए ॥

ज्योत में है माँ एहसास होगा जिसको,
समझेगा बोली विशवास होगा जिसको ।
पहले ज्योत अपने तराजू में है तोलती,
उतरे जो पूरे ज्योत उनके संग बोलती ।
निर्दोष भक्ति के तारे जरा जोड़िए,
बाकि क्या करना है उसपे ही छोड़िए ।
श्रद्धा से इसको बुलाने वाला चाहिए,
ज्योत से ज्योत को मिलाने वाला चाहिए ॥

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