आजादी की दुल्हन का श्रृंगार अभी तक बाकी है लिरिक्स
Azadi Ki Dulhan Ka Shringar Abhi Tak Baki Hai
आजादी की दुल्हन का श्रृंगार अभी तक बाकी है लिरिक्स (हिन्दी)
आजादी की दुल्हन का,
श्रृंगार अभी तक बाकी है,
है जंग हमारी खुद हमसे,
और जीत अभी तक बाकी है।।
हमने मंगल जीत लिया,
चंदा पे पानी सींच दिया,
गाड़ी को बदला तेजस से,
पर्वत पे फंदा खींच दिया,
पर भूखे मरते भारत का,
सम्मान अभी तक बाकी है,
है जंग हमारी खुद हमसे,
और जीत अभी तक बाकी है।।
पगडंडी को रोड़ बना,
जल थल की सीमा लांघ गए,
मरुधर में छाई हरियाली,
और कच्छ में छाई दिवाली,
पर मजदूरों के छालों पर,
अभी रोक लगाना बाकी है,
है जंग हमारी खुद हमसे,
और जीत अभी तक बाकी है।।
शिक्षा बढ़ी और ज्ञान बढा,
समृद्धि का संसार बना,
स्वस्थ बना परिवार सजन,
सम्मान का रुख प्रसस्थ हुआ,
पर स्वार्थी सर्पो के मुख से,
संविधान का लाना बाकी है,
है जंग हमारी खुद हमसे,
और जीत अभी तक बाकी है।।
देवी बनी है अबला अब,
कुपित कुष्ट है शरमाया,
अधर्मी बना है धर्म धुरंदर,
डर दहशत में शरमाया,
ऋषियों की भूमि पे,
राम राज्य आना बाकी है,
है जंग हमारी खुद हमसे,
और जीत अभी तक बाकी है।।
आजादी की दुल्हन का,
श्रृंगार अभी तक बाकी है,
है जंग हमारी खुद हमसे,
और जीत अभी तक बाकी है।।
गायक / प्रेषक कैलाश लाछुड़ा।
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