बृजवासी कान्हा थारी तो बंसी सब जग मोहनी लिरिक्स
Brajwasi Kanha Thari To Bansi Sab Jag Mohni
बृजवासी कान्हा थारी तो बंसी सब जग मोहनी लिरिक्स (हिन्दी)
बृजवासी कान्हा,
थारी तो बंसी सब जग मोहनी।।
जबसे भनक पड़ी कानन में,
झपके आन खड़ी आंगन में,
बिजली सी चमके तन मन में,
बंसी है दुख खोवनी,
ब्रजवासी कान्हा,
थारी तो बंसी सब जग मोहनी।।
घर को छोड़ चली बृजबाला,
सुध बुध खोई भई बेहाला,
अब तो दर्शन दो नंदलाला,
डस गई नागन मोहनी,
ब्रजवासी कान्हा,
थारी तो बंसी सब जग मोहनी।।
ब्रह्मा वेद ध्यान शिव त्यागे,
जीव जंतु पक्षी सब जागे,
रास रचायो गोपियों के संग,
सूरत थारी सोहनी,
ब्रजवासी कान्हा,
थारी तो बंसी सब जग मोहनी।।
यमुना नीर धिर भयो सारो,
चरती गाय छोड़ दिया चारों,
भगत थारा दर्शन को प्यासो,
फेर जन्म नहीं होवनो,
ब्रजवासी कान्हा,
थारी तो बंसी सब जग मोहनी।।
बृजवासी कान्हा,
थारी तो बंसी सब जग मोहनी।।
Singer / Upload Uma Sharma Chittoragh
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