धन धन होरी नगरी में दादा खेडा़ डूण्डे ठारया सै लिरिक्स
Dhan Dhan Hori Se Nagri Me Dada Kheda Bhajan
धन धन होरी नगरी में दादा खेडा़ डूण्डे ठारया सै लिरिक्स (हिन्दी)
धन धन होरी नगरी में,
दादा खेडा़ डूण्डे ठारया सै,
डूण्डे ठारया सै दादा खेडा़,
डूण्डे ठारया सै।।
श्रद्धा और विशवास तै जो,
दादा तै दुखडा़ सुणावै,
दूध पीण नै पूत गोद म्ह,
नोटां तै गोझ फूलावै,
जिनै मनाया साथ निभाया,
ना लाया लारा सै,
धन-धन होरी नगरी म्ह।।
भर भर बूगटे बाँटै इसकी,
ठाडी सै साहूकारी,
दरिया दिल सै दया का सागर,
शिव शंकर अवतारी,
ठंडा शीला देवता सबनै,
लाग्गै प्यारा सै,
धन-धन होरी नगरी म्ह।।
फुल कृपा करी नगर गाम पै,
मौज म्ह याणे स्याणे,
फसल लहरावै खेतां के म्ह,
सोन्ने बरगे दाणे,
कण कण म्ह दादा के ठिकाणे,
भेद ना पारया सै,
धन-धन होरी नगरी म्ह।।
बीत्तै गजेन्द्र कुड़लणीये की,
चरणां म्ह जिंदगानी,
पल पल साथ दिया लक्की का,
कर दी मेहरबानी,
इसकी छतरी तै बाहर लीकड़ कै,
नहीं गुजारा सै,
धन-धन होरी नगरी म्ह।।
धन धन होरी नगरी में,
दादा खेडा़ डूण्डे ठारया सै,
डूण्डे ठारया सै दादा खेडा़,
डूण्डे ठारया सै।।
गायक लक्की पिचौलिया।
लेखक / प्रेषक गजेन्द्र कुड़लण।
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