धीरज क्यों नी धरे रे मनवा शुभ अशुभ तो कर्म पूरबला लिरिक्स
Dhiraj Kyo Ni Dhre Re Manva
धीरज क्यों नी धरे रे मनवा शुभ अशुभ तो कर्म पूरबला लिरिक्स (हिन्दी)
धीरज क्यों नी धरे रे मनवा,
शुभ अशुभ तो कर्म पूरबला,
रती नही घटे बढे रे।।
गर्भवास मे रक्षा की नी,
बायर काई बीसरे रे,
पक्षु पक्षी और किट पतंगा,
सब री सुधी करे रे,
मनवा धीरज क्यो न धरे रे।।
मात पिता और कुटम कबीलो,
मोह रे जाल जरे रे,
समझ देख मन कोई नही अपना,
धोका में काई पड़े रे,
मनवा धीरज क्यो न धरे रे।।
तु तो हंसा बंदा साहेब रो,
भटकत काई फिर रे,
सतगुरु छोड़ और ने ध्यावे,
कारज नही सरे रे,
मनवा धीरज क्यो न धरे रे।।
संता रे शरण जाओ मेरा हंसा,
कोटी विघ्न टले रे,
कहत कबीर सुनो भाई संतो,
सहज जीव तीरे रे,
मनवा धीरज क्यो न धरे रे।।
धीरज क्यों नी धरे रे मनवा,
शुभ अशुभ तो कर्म पूरबला,
रती नही घटे बढे रे।।
स्वर श्री सुखदेव जी महाराज।
धीरज क्यों नी धरे रे मनवा शुभ अशुभ तो कर्म पूरबला Video
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