कुर्बान क्यूँ न जाऊं, दरबार है निराला घनश्याम की अदाओं ने बेमौत मार डाला

कुर्बान क्यूँ न जाऊं, दरबार है निराला ।
घनश्याम की अदाओं ने बेमौत मार डाला ॥

क्या पूछते हो हमसे, पहचान उनकी क्या है ।
सर पे मुकुट है बांका, गल वैजन्ती माला ॥

कुंडल कपोल बांके, है नयन इनके बांके ।
बंसी मधुर बजाये, है श्याम रंग का काला ॥

माधव की छबि बांकी, चितवन है उनकी बांकी ।

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