Meri Jholi Chhoti Pad Gayee Re – Narendra Chanchal
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता
मेरी बिगड़ी माँ ने बनायीं सोयी तकदीर जगाई
ये बात ना सुनी सुनाई मैं खुद बीती बतलाता रे इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता
ये बात ना सुनी सुनाई मैं खुद बीती बतलाता रे इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता
मान मिला सम्मान मिला, गुणवान मुझे संतान मिली
धन धान मिला, नित ध्यान मिला, माँ से ही मुझे पहचान मिली
घरबार दिया मुझे माँ ने, बेशुमार दिया मुझे माँ ने,
हर बार दिया मुझे माँ ने, जब जब मैं मागने जाता, मुझे इतना दिय
ा मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे इतना दिया मेरी माता …
धन धान मिला, नित ध्यान मिला, माँ से ही मुझे पहचान मिली
घरबार दिया मुझे माँ ने, बेशुमार दिया मुझे माँ ने,
हर बार दिया मुझे माँ ने, जब जब मैं मागने जाता, मुझे इतना दिय
ा मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पढ़ गयी रे इतना दिया मेरी माता …
मेरा रोग कटा मेरा कष्ट मिटा, हर संकट माँ ने दूर किया,
भूले से जो कभी गुरुर किया, मेरे अभिमान को चूर किया,
मेरे अंग संग हुई सहाई, भटके को राह दिखाई,
क्या लीला माँ ने रचाई, मैं कुछ भी समझ ना पाता, इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता …
भूले से जो कभी गुरुर किया, मेरे अभिमान को चूर किया,
मेरे अंग संग हुई सहाई, भटके को राह दिखाई,
क्या लीला माँ ने रचाई, मैं कुछ भी समझ ना पाता, इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता …
उपकार करे भव पार करे, सपने…
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