पापी के मुख से राम कोणी निकले , केशर ढुल गई गारे में

पापी के मुख से राम कोणी निकले ,
केशर ढुल गई गारे में ।
मिनख जमारो बन्दों एल्यो मत खोई ना
सुखरत करले जमारे न ।।

भैंस पद्मनी गहनों पहनायो ,
के जाने नोसर हारा ने ।
पहन कोणी जाने वा तो ओढ़ कोणी जाने 
उम्र गमादी गोबर गारे में ।। 

सोने की थाल में सुरडी परोषि ,
के जाने जिमन हारा ने ।
जिम कोणी जाने बातो झूंठ कोणी जाने 
हुलड़ हुलढ मर गई जमारे में ।।

काच के महल में कुतिया सुहाणि ,
के रंग चौबारे मे ।
सोया कोणी जाने बातो ओढ़ कोणी जाने 
भूष भूष मर गई जमारे में ।।

मानक मोती मूर्खा मिल गया ,
दलबा तो बेठ गया सारा ने ।
हीरे की पारख जौहरी जाने ,
के जाने मुर्ख गंवार ने ।। 

अमृत नाथ अमर भया जोगी ,
जार गए काचे पारे ने 
भूरा भजन हरिराम का करले 
हरी मिले दसवा द्वारे में ।। 

पापी के मुख से राम कोणी निकले 
केशर ढुल गई गारे में ।
मिनख जमारो बन्दों एल्यो मत खोई ना
सुखरत करले जमार न ।।

बोल नाथ जी महाराज की जय हो ।

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