Sudhanshuji Maharaj – Bhajan- Bansi Wale Batlaa
किस राह पे चलना है,
किस राह पे जाना है
बंसी वाले बतला,
तेरा कहा ठिकाना है।
किस राह पे चलना है,
किस राह पे जाना है
कहते है द्रोपदी का,
तूने चीर बढाया था।
बन सारथि अर्जुन का,
रथ तूने चलाया था।
आ फिर से धरती पर,
तूने पाप मिटाना है
बंसी वाले बतला,
तेरा कहा ठिकाना है।
किस राह पे चलना है,
किस राह पे जाना है
इन नयन बरसते में,
कब आएगा बतला दे।
बिन प्राणों के ये काया,
कैसे रहे समझा दे।
हम भक्तो का टुटा हुआ,
विश्वास जगाना है
बंसी वाले बतला,
तेरा कहा ठिकाना है।
किस राह पे चलना है,
किस राह पे जाना है
सब ढूंढते है तुझको,
तू आता नज़र ही नहीं।
अपने भक्तो की कभी,
तू लेता खबर ही नहीं।
एक बार तो सुन जा तुझे,
हाले दिल सुनाना है
बंसी वाले बतला,
तेरा कहा ठिकाना है।
किस राह पे चलना है,
किस राह पे जाना है
बंसी वाले बतला,
तेरा कहा ठिकाना है।
किस राह पे चलना है,
किस राह पे जाना है
बंसी वाले बतला,
तेरा कहा ठिकाना है।