Argala Stotram (Om Jayanti Mangla Kali) By Anuradha Paudwal – Shri Durga Saptashati
ओम जयंती मंगला काली भद्रा काली कपालिनी
दुर्गा क्षमा शिवा धात्र स्वाहा स्वधा नामो-स्टू-ते
जया त्वां देवी चामुंडे जया भूतारतिहारिणी
जया सर्वा गति देवी कालरात्रि नामो-स्टू ते
मधु कैितभा विडरावी विधात्रा वरादे नमः
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
महिषासुरा निर्नाशी भक्तानम सुखड़े नमः
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
रक्तबीजा वढे देवी चंदा मुंडा विनाशीनी
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
शुंभास्याइवा निशूंभस्या धूम्राक्षास्या छा मर्दिनी
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
वंदितांघीयुगे देवी सर्वा सौभाग्या दाइिनी
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
अचिंत्या रूपा चरिटे सर्वा शत्रु विनाशीनी
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
नाटेभ्या सर्वदा भकत्या चंदिके दुरीतापहे
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
चंदिके सततम ये त्वामार्चयनतिहा भक्तीतः
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
दही सौभागयाँारोगयाँ दही मे परमां सुखाम
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
विधही द्वीयशटां नासहम विधही बालमुच्चकैः
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
वैदेही देवी कल्याणाँ वैदेही परमां श्रियाँ
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
सुरा असुरा शिरोरात्ना निघृष्ता चरणेमबिके
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
विद्यावंटम यशासवंटम लक्ष्मीवांटम जानम कुरू
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि
प्रचंदा दैत्या दर्पाघने चंदिके प्रणतआया मे
रूपम दही जायम दही यशो दही द्वीषो जाहि