मन की तरंग मार लो, बस हो गया भजन आदत बुरी संवार लो, बस हो गया भजन

मन की तरंग मार लो, बस हो गया भजन।
आदत बुरी संवार लो, बस हो गया भजन॥

आये हो तुम कहा से, जाओगे तुम कहाँ।
इतना ही विचार लो, बस हो गया भजन॥

कोई तुम्हे बुरा कहे, तुम सुन कर क्षमा करो।
वाणी का स्वर संभाल लो, बस हो गया भजन॥

नेकी सभी के साथ में बन जाए तो करो।
मत सर बंदी का हर लो, बस हो गया भजन॥

नजरो में तेरी दोष है, दुनिया निहारते।
समता का अंजन ढाल लो, बस हो गया भजन॥

यह महल माडिया ना तेरे साथ जायेगी।
सतगुरु की महिमा जान लो, बस हो गया भजन॥

अनमोल ब्रह्मानंद जो चाहिए सदा।

See also  Bhagavad Gita: Chapter 6, Verse 30

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