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“सिद्धो ने खम्मा घणी, नवनाथों ने खम्मा घणी” एक अत्यंत लोकप्रिय राजस्थानी भजन है जो नवनाथों, विशेष रूप से जालंधरनाथ, गोरखनाथ और अन्य सिद्धों की महिमा का गुणगान करता है। यह भक्ति गीत संतों की तपोभूमि, शिवजी के वास और रत्नेश्वर महादेव की महिमा को भी दर्शाता है। यदि आप राजस्थानी लोक भजन, नाथ संप्रदाय भक्ति गीत, या देवotional Songs of Navnath खोज रहे हैं — तो यह भजन अवश्य सुनें और इसके लिरिक्स का भावपूर्वक पाठ करें। नीचे दिए गए वीडियो में आप इसका संपूर्ण दर्शन कर सकते हैं।
सिद्धो ने खम्मा घणी नवनाथों ने खम्मा घणी लिरिक्स (हिन्दी में)
सिद्धो ने खम्मा घणी,
नवनाथों ने खम्मा घणी,
म्हारा योगी जालंधर नाथ,
सिद्ध गोरख ने खम्मा घणी,
म्हारा सिरे मंदिर रा पीरजी,
दाता ने खम्मा घणी।।
कणियागिरी रो कण कण गावे,
महिमा दाता री,
इन पहाड़ों में शिवजी रो वासो,
हर हर बम लहरी,
कण कण ने खम्मा घणी,
बम बम ने खम्मा घणी,
म्हारा योगी जालंधर नाथ,
सिद्ध गोरख ने खम्मा घणी,
म्हारा सिरे मंदिर रा पीरजी,
दाता ने खम्मा घणी।।
आ दिव्य संतो री तपो भूमि,
हे नाथ जलंधर री,
भेरुनाथ जी, केशरनाथ जी,
शांतिनाथ जी री,
सब संतो ने खम्मा घणी,
गंगानाथ जी ने खम्मा घणी,
म्हारा योगी जालंधर नाथ,
सिद्ध गोरख ने खम्मा घणी,
म्हारा सिरे मंदिर रा पीरजी,
दाता ने खम्मा घणी।।
हर भगवो सोलो काने कुंडल,
वाणी इमरत री,
गुरु साचा शब्द सुनावे,
काया सुधरे भक्ता री,
आदेश ने खम्मा घणी,
भगवे ने खम्मा घणी,
म्हारा योगी जालंधर नाथ,
सिद्ध गोरख ने खम्मा घणी,
म्हारा सिरे मंदिर रा पीरजी,
दाता ने खम्मा घणी।।
मारा रत्नेश्वर महादेव री महिमा,
जग में अमर घणी,
अथे अड़सठ तीर्थ गंगा गोमती,
दाता रे चरणे जी,
पीरजी ने खम्मा घणी,
गुरु चरणो में खम्मा घणी,
म्हारा योगी जालंधर नाथ,
सिद्ध गोरख ने खम्मा घणी,
म्हारा सिरे मंदिर रा पीरजी,
दाता ने खम्मा घणी।।
सावन मास री इंद्र घटा,
जरणा कल-कल कर्णी,
मोरा मीठा बोले अठे,
हरियाली मन हरणी,
भवानी कोलू गावे है,
विमल लिखतक री,
म्हारा योगी जालंधर नाथ,
सिद्ध गोरख ने खम्मा घणी,
म्हारा सिरे मंदिर रा पीरजी,
दाता ने खम्मा घणी।।
सिद्धो ने खम्मा घणी,
नवनाथों ने खम्मा घणी,
म्हारा योगी जालंधर नाथ,
सिद्ध गोरख ने खम्मा घणी,
म्हारा सिरे मंदिर रा पीरजी,
दाता ने खम्मा घणी।।
सिद्धो ने खम्मा घणी नवनाथों ने खम्मा घणी वीडियो | Watch Now
इस भक्ति गीत को यहां सुनें और आध्यात्मिक आनंद लें:
गायक: भवानी सिंह जी कोलू
प्रेषक: प्रताप जांगिड़
संपर्क: 9950903793