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This powerful Bhajan, “सिर मौत खड़ी है सुमिरन तो कर लो श्री भगवान का” (Sir Maut Khadi Hai Sumiran To Kar Lo Shri Bhagwan Ka), is sung by the revered spiritual leader, PH. M. Dr. Shri Ramprasad Ji Maharaj.
The Bhajan’s lyrics convey a profound message, urging the listener to focus on the remembrance of the divine, as death is inevitable and can strike at any moment. The song is a call to spiritual awakening, encouraging the listener to prioritize their spiritual growth and connection with the divine.
Dr. Shri Ramprasad Ji Maharaj’s soulful voice and masterful delivery bring depth and emotion to the Bhajan, making it a truly unforgettable listening experience.
सिर मौत खड़ी है सुमिरन तो कर लो श्री भगवान का लिरिक्स (हिन्दी)
जैसे शीशी कांच की भाई,
वैसी नर थारी देह,
जतन करन्ता जावसी कोई,
हरि भज लावा लेय रे,
सिर मौत खड़ी है,
सुमिरन तो कर लो,
श्री भगवान का।।
सुतो सुतो क्या करें भाई,
सुता ने आवे नींद,
जम सिरहाने यूं खड़ो,
ज्यो तोरण आयो बिंद रे,
सिर मौत खडी हैं,
सुमिरन तो कर लो,
श्री भगवान का।।
माटी कहे कुम्हार को भाई,
तू क्यूं रोंदे मोहे,
एक दिन ऐसो आवसी जब,
मैं रोंदूंगी तोहे रे,
सिर मौत खडी हैं,
सुमिरन तो कर लो,
श्री भगवान का।।
चलती चाक्की देख के भाई,
दियो कबीरो रोय,
दोय पाटन के बीच में भाई,
साबत रहयो न कोय रे,
सिर मौत खडी हैं,
सुमिरन तो कर लो,
श्री भगवान का।।
संत दास संसार में रे केई,
गूधू केई डोड,
डूबण को सांसो नहीं रे,
नहीं तिरण रो कोड जी,
सिर मौत खडी हैं,
सुमिरन तो कर लो,
श्री भगवान का।।
कबीरा नौबत आपणी भाई,
दिन दस लेऊं बजाय,
यह पुर पट्टन यह गली कोई,
बहुरी न देखूं आय के,
सिर मौत खडी हैं,
सुमिरन तो कर लो,
श्री भगवान का।।
क्या कहूं कितनी कहूं रे,
कहां बजाऊं ढ़ोल,
श्वासा बीती जात है कोई,
तीन लोक रो मोल जी,
सिर मौत खडी हैं,
सुमिरन तो कर लो,
श्री भगवान का।।
जैसे शीशी कांच की भाई,
वैसी नर थारी देह,
जतन करन्ता जावसी कोई,
हरि भज लावा लेय रे,
सिर मौत खड़ी है,
सुमिरन तो कर लो,
श्री भगवान का।।
सिर मौत खड़ी है सुमिरन तो कर लो श्री भगवान का Video
सिर मौत खड़ी है सुमिरन तो कर लो श्री भगवान का Video
स्वर महंत परमहंस डॉ. श्री रामप्रसाद जी महाराज।
Bhajan By PH. M. Dr. Shri Ramprasad Ji Maharaj