yeh garv bhara mastak mer, Yeh Garv Bhara Mastak Mera- Hari Om Sharan
yeh garv bhara mastak mer, Yeh Garv Bhara Mastak Mera- Hari Om Sharan

Yeh Garv Bhara Mastak Mera- Hari Om Sharan

ये गर्व भरा मस्तक मेरा प्रभु चरण धूल तक झुकने दे,
अहंकार विकार भरे मन को, निज नज़्म की माला जपने दे,
ये गर्व भरा मस्तक मेरा.
मैं मन के मैल को धो ना सका, ये जीवन तेरा हो ना सका,
हाँ.हो ना सका, मैं प्रेमी हूँ, इतना ना झुका,
गिर भी जो पड़ूँ तो उठने दे,
ये गर्व भरा मस्तक मेरा.
मैं ज्ञान की बातों में खोया और कर्महीन पढ़कर सोया,
जब आँख खुली तो मन रोया, जग सोये मुझको जगने दे,
ये

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