Zid Hai Kanhaiy, Zid Hai Kanhaiya  Superhit Krishna Bhajan Harmahennder Singh \\\\\\\"Romi\\\\\\\"
Zid Hai Kanhaiy, Zid Hai Kanhaiya Superhit Krishna Bhajan Harmahennder Singh \\\"Romi\\\"

Zid Hai Kanhaiya Superhit Krishna Bhajan Harmahennder Singh “Romi”

बरसे जो तू ता कुटियाँ टपकती,
ना बरसे तो खेती तरस ती,
भर बस ही मेरी आंखे बरसती
मांगू क्या तुझसे तुम ही बता दो,
मार के ठोकर या फिर हस्ती मिटा दो
ज़िद है कन्हियाँ बिगड़ी बना दो,
मार के ठोकर या फिर हस्ती मिटा दो

रोता हु मैं तो हस्ती है दुनिया,
सेवक पे तेरे ताने कस्ती है दुनिया,
हालत पे मेरे बरसती है दुनिया,
रोते हुए को फिर से हसा दो,
मार के ठोकर या फिर हस्ती मिटा दो,
ज़िद है कन्हियाँ …

तेरे सिवा कोई हमारा नहीं है,
बिन तेरे अपने गुजारा नहीं है,
हाथो को दर दर पसारा नहीं है,
जाऊ कहा मैं तुम ही बता दो,
मार के ठोकर या फिर हस्ती मिटा दो,
ज़िद है कन्हियाँ …

होश सम्बालि जबसे तुझको निहारा,
सुख हो या दुःख हो तुझको पुकारा,
सेवक ये तेरा तू फिर मारा मारा,
अपना वो जलवा हमे भी दिखा दो,
मार के ठोकर या फिर हस्ती मिटा दो,
ज़िद है कन्हियाँ …..

रोमी ये तुझसे अर्जी लगाये,
सपने ना टूटे जो तुमने दिखाए,
सिर मेरा दर दर झुकने ना पाए,
सपनो के मेरे पंख लगा दो,
मार के ठोकर या फिर हस्ती मिटा दो,
ज़िद है कन्हियाँ …..

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