प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्‌ ।मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्‌ ॥
प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां कालः कलयतामहम्‌ ।मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम्‌ ॥

प्रह्लादश्चास्मि दैत्यानां काल: कलयतामहम् |
मृगाणां च मृगेन्द्रोऽहं वैनतेयश्च पक्षिणाम् || 30||

prahlādaśh chāsmi daityānāṁ kālaḥ kalayatām aham
mṛigāṇāṁ cha mṛigendro ’haṁ vainateyaśh cha pakṣhiṇām

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भावार्थ:

मैं दैत्यों में प्रह्लाद और गणना करने वालों का समय (क्षण, घड़ी, दिन, पक्ष, मास आदि में जो समय है वह मैं हूँ) हूँ तथा पशुओं में मृगराज सिंह और पक्षियों में गरुड़ हूँ॥30॥

Translation

I am Prahlad amongst the demons; amongst all that controls I am time. Know me to be the lion amongst animals, and Garud amongst the birds.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

See also  Bhagavad Gita: Chapter 1, Verse 16

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