4 (13), Bhagavad Gita: Chapter 14, Verse 4
4 (13), Bhagavad Gita: Chapter 14, Verse 4

सर्वयोनिषु कौन्तेय मूर्तय: सम्भवन्ति या: |
तासां ब्रह्म महद्योनिरहं बीजप्रद: पिता || 4||

sarva-yoniṣhu kaunteya mūrtayaḥ sambhavanti yāḥ
tāsāṁ brahma mahad yonir ahaṁ bīja-pradaḥ pitā

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भावार्थ:

हे अर्जुन! नाना प्रकार की सब योनियों में जितनी मूर्तियाँ अर्थात शरीरधारी प्राणी उत्पन्न होते हैं, प्रकृति तो उन सबकी गर्भधारण करने वाली माता है और मैं बीज को स्थापन करने वाला पिता हूँ॥4॥

Translation

O son of Kunti, for all species of life that are produced, the material nature is the womb, and I am the seed-giving Father.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

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