( भगवान का तिरस्कार करने वाले आसुरी प्रकृति वालों की निंदा और दैवी प्रकृति वालों के भगवद्भजन का प्रकार )अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम्‌।परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम्‌ ॥
( भगवान का तिरस्कार करने वाले आसुरी प्रकृति वालों की निंदा और दैवी प्रकृति वालों के भगवद्भजन का प्रकार )अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम्‌।परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम्‌ ॥

अवजानन्ति मां मूढा मानुषीं तनुमाश्रितम् |
परं भावमजानन्तो मम भूतमहेश्वरम् || 11||

avajānanti māṁ mūḍhā mānuṣhīṁ tanum āśhritam
paraṁ bhāvam ajānanto mama bhūta-maheśhvaram

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भावार्थ:

मेरे परमभाव को (गीता अध्याय 7 श्लोक 24 में देखना चाहिए) न जानने वाले मूढ़ लोग मनुष्य का शरीर धारण करने वाले मुझ संपूर्ण भूतों के महान्‌ ईश्वर को तुच्छ समझते हैं अर्थात्‌ अपनी योग माया से संसार के उद्धार के लिए मनुष्य रूप में विचरते हुए मुझ परमेश्वर को साधारण मनुष्य मानते हैं॥11॥

Translation

When I descend in My personal form deluded persons are unable to recognize Me. They do not know the divinity of My personality, as the Supreme Lord of all beings.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

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