इक हमारे बांके बिहारी दूजे लख दातार, हमारे दो ही रिश्तेदार,

इक हमारे बांके बिहारी दूजे लख दातार,
हमारे दो ही रिश्तेदार,

इक बजावे मधुर मुरलियां इक कहावे सेठ सवारिया,
इक है राजा है वृदावन के इक है  खाटू के सरकार,
हमारे दो ही रिश्तेदार………….

देख बनाके रिश्तेदारी कट जाये तेरी विपदा सारी,
इक भरे भंडार सभी के इक करे भव पार,
हमारे दो ही रिश्तेदार…..


इक है श्री हरिदास दुलारे ,दूजे है हरे के सहारे,
इक चरावे वन वन गैयाँ, इक नीले के असवार
हमारे दो ही रिश्तेदार…….

मान रविंदर गुरु जी का कहना जो तुमको सुख से है रहना,
कुंज बिहारी रटते रहियो ओ पागल के यार

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