ॐ जय कलाधारी हरे, स्वामी जय पौणाहारी हरे, भक्त जनों की नैया, दस जनों की नैया भव से पार करे,

ॐ जय कलाधारी हरे, स्वामी जय पौणाहारी हरे,
भक्त जनों की नैया, दस जनों की नैया भव से पार करे,
ॐ जय कलाधारी हरे…

बालक उमर सुहानी, नाम बालक नाथा,
अमर हुए शंकर से, सुन के अमर गाथा ।
ॐ जय कलाधारी हरे…

शीश पे बाल सुनैहरी, गले रुद्राक्षी माला, 
हाथ में झोली चिमटा, आसन मृगशाला ।
ॐ जय कलाधारी हरे…

सुंदर सेली सिंगी, वैरागन सोहे,
गऊ पालक रखवालक, भगतन मन मोहे ।
ॐ जय कलाधारी हरे…

अंग भभूत रमाई, मूर्ति प्रभु रंगी,
भय भज्जन दुःख नाशक, भरथरी के संगी ।
ॐ जय कलाधारी हरे…

रोट चढ़त रविवार को, फल, फूल मिश्री मेवा,
धुप दीप कुदनुं से आनंद सिद्ध देवा ।
ॐ जय कलाधारी हरे…

भक्तन हित अवतार लियो, प्रभु देख के कल्लू काला,
दुष्ट दमन शत्रुहन , सबके प्रतिपाला ।
ॐ जय कलाधारी हरे…

श्री बालक नाथ जी की आरती, जो कोई नित गावे,
कहते है सेवक तेरे, मन वाच्छित फल पावे ।
ॐ जय कलाधारी हरे…

ॐ जय कलाधारी हरे, स्वामी जय पौणाहारी हरे,
भक्त जनों की नैया , दस जनों की नैया भव से पार करे,

https://youtu.be/71BKFuzyk8w

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