सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी Lyrics, Video, Bhajan, Bhakti Songs
सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी Lyrics, Video, Bhajan, Bhakti Songs

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी लिरिक्स

Sundarkand Path Hindi

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी लिरिक्स (हिन्दी)

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ,
।। पञ्चम सोपान सुन्दरकाण्ड।।

।।आसन।।
कथा प्रारम्भ होत है। सुनहुँ वीर हनुमान।।
आसान लीजो प्रेम से। करहुँ सदा कल्याण।।

श्लोक
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं,
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्,
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं,
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।1।।

नान्या स्पृहा रघुपते हृदयेऽस्मदीये
सत्यं वदामि च भवानखिलान्तरात्मा।
भक्तिं प्रयच्छ रघुपुङ्गव निर्भरां मे
कामादिदोषरहितं कुरु मानसं च।।2।।

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।3।।

जामवंत के बचन सुहाए। सुनि हनुमंत हृदय अति भाए।।
तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई। सहि दुख कंद मूल फल खाई।।
जब लगि आवौं सीतहि देखी। होइहि काजु मोहि हरष बिसेषी।।
यह कहि नाइ सबन्हि कहुँ माथा। चलेउ हरषि हियँ धरि रघुनाथा।।
सिंधु तीर एक भूधर सुंदर। कौतुक कूदि चढ़ेउ ता ऊपर।।
बार बार रघुबीर सँभारी। तरकेउ पवनतनय बल भारी।।
जेहिं गिरि चरन देइ हनुमंता। चलेउ सो गा पाताल तुरंता।।
जिमि अमोघ रघुपति कर बाना। एही भाँति चलेउ हनुमाना।।
जलनिधि रघुपति दूत बिचारी। तैं मैनाक होहि श्रमहारी।।
दो0- हनूमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम।
राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहाँ बिश्राम।।1।।
–*–*–

जात पवनसुत देवन्ह देखा। जानैं कहुँ बल बुद्धि बिसेषा।।
सुरसा नाम अहिन्ह कै माता। पठइन्हि आइ कही तेहिं बाता।।
आजु सुरन्ह मोहि दीन्ह अहारा। सुनत बचन कह पवनकुमारा।।
राम काजु करि फिरि मैं आवौं। सीता कइ सुधि प्रभुहि सुनावौं।।
तब तव बदन पैठिहउँ आई। सत्य कहउँ मोहि जान दे माई।।
कबनेहुँ जतन देइ नहिं जाना। ग्रससि न मोहि कहेउ हनुमाना।।
जोजन भरि तेहिं बदनु पसारा। कपि तनु कीन्ह दुगुन बिस्तारा।।
सोरह जोजन मुख तेहिं ठयऊ। तुरत पवनसुत बत्तिस भयऊ।।
जस जस सुरसा बदनु बढ़ावा। तासु दून कपि रूप देखावा।।
सत जोजन तेहिं आनन कीन्हा। अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा।।
बदन पइठि पुनि बाहेर आवा। मागा बिदा ताहि सिरु नावा।।
मोहि सुरन्ह जेहि लागि पठावा। बुधि बल मरमु तोर मै पावा।।
दो0-राम काजु सबु करिहहु तुम्ह बल बुद्धि निधान।
आसिष देह गई सो हरषि चलेउ हनुमान।।2।।
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निसिचरि एक सिंधु महुँ रहई। करि माया नभु के खग गहई।।
जीव जंतु जे गगन उड़ाहीं। जल बिलोकि तिन्ह कै परिछाहीं।।
गहइ छाहँ सक सो न उड़ाई। एहि बिधि सदा गगनचर खाई।।
सोइ छल हनूमान कहँ कीन्हा। तासु कपटु कपि तुरतहिं चीन्हा।।
ताहि मारि मारुतसुत बीरा। बारिधि पार गयउ मतिधीरा।।
तहाँ जाइ देखी बन सोभा। गुंजत चंचरीक मधु लोभा।।
नाना तरु फल फूल सुहाए। खग मृग बृंद देखि मन भाए।।
सैल बिसाल देखि एक आगें। ता पर धाइ चढेउ भय त्यागें।।
उमा न कछु कपि कै अधिकाई। प्रभु प्रताप जो कालहि खाई।।
गिरि पर चढि लंका तेहिं देखी। कहि न जाइ अति दुर्ग बिसेषी।।
अति उतंग जलनिधि चहु पासा। कनक कोट कर परम प्रकासा।।
छं=कनक कोट बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना।
चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना।।
गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथिन्ह को गनै।।
बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै।।1।।
बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं।
नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं।।
कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं।
नाना अखारेन्ह भिरहिं बहु बिधि एक एकन्ह तर्जहीं।।2।।
करि जतन भट कोटिन्ह बिकट तन नगर चहुँ दिसि रच्छहीं।
कहुँ महिष मानषु धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं।।
एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही।
रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही।।3।।
दो0-पुर रखवारे देखि बहु कपि मन कीन्ह बिचार।
अति लघु रूप धरौं निसि नगर करौं पइसार।।3।।
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मसक समान रूप कपि धरी। लंकहि चलेउ सुमिरि नरहरी।।
नाम लंकिनी एक निसिचरी। सो कह चलेसि मोहि निंदरी।।
जानेहि नहीं मरमु सठ मोरा। मोर अहार जहाँ लगि चोरा।।
मुठिका एक महा कपि हनी। रुधिर बमत धरनीं ढनमनी।।
पुनि संभारि उठि सो लंका। जोरि पानि कर बिनय संसका।।
जब रावनहि ब्रह्म बर दीन्हा। चलत बिरंचि कहा मोहि चीन्हा।।
बिकल होसि तैं कपि कें मारे। तब जानेसु निसिचर संघारे।।
तात मोर अति पुन्य बहूता। देखेउँ नयन राम कर दूता।।
दो0-तात स्वर्ग अपबर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग।
तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव सतसंग।।4।।
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प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। हृदयँ राखि कौसलपुर राजा।।
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
गरुड़ सुमेरु रेनू सम ताही। राम कृपा करि चितवा जाही।।
अति लघु रूप धरेउ हनुमाना। पैठा नगर सुमिरि भगवाना।।
मंदिर मंदिर प्रति करि सोधा। देखे जहँ तहँ अगनित जोधा।।
गयउ दसानन मंदिर माहीं। अति बिचित्र कहि जात सो नाहीं।।
सयन किए देखा कपि तेही। मंदिर महुँ न दीखि बैदेही।।
भवन एक पुनि दीख सुहावा। हरि मंदिर तहँ भिन्न बनावा।।
दो0-रामायुध अंकित गृह सोभा बरनि न जाइ।
नव तुलसिका बृंद तहँ देखि हरषि कपिराइ।।5।।
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लंका निसिचर निकर निवासा। इहाँ कहाँ सज्जन कर बासा।।
मन महुँ तरक करै कपि लागा। तेहीं समय बिभीषनु जागा।।
राम राम तेहिं सुमिरन कीन्हा। हृदयँ हरष कपि सज्जन चीन्हा।।
एहि सन हठि करिहउँ पहिचानी। साधु ते होइ न कारज हानी।।
बिप्र रुप धरि बचन सुनाए। सुनत बिभीषण उठि तहँ आए।।
करि प्रनाम पूँछी कुसलाई। बिप्र कहहु निज कथा बुझाई।।
की तुम्ह हरि दासन्ह महँ कोई। मोरें हृदय प्रीति अति होई।।
की तुम्ह रामु दीन अनुरागी। आयहु मोहि करन बड़भागी।।
दो0-तब हनुमंत कही सब राम कथा निज नाम।
सुनत जुगल तन पुलक मन मगन सुमिरि गुन ग्राम।।6।।
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सुनहु पवनसुत रहनि हमारी। जिमि दसनन्हि महुँ जीभ बिचारी।।
तात कबहुँ मोहि जानि अनाथा। करिहहिं कृपा भानुकुल नाथा।।
तामस तनु कछु साधन नाहीं। प्रीति न पद सरोज मन माहीं।।
अब मोहि भा भरोस हनुमंता। बिनु हरिकृपा मिलहिं नहिं संता।।
जौ रघुबीर अनुग्रह कीन्हा। तौ तुम्ह मोहि दरसु हठि दीन्हा।।
सुनहु बिभीषन प्रभु कै रीती। करहिं सदा सेवक पर प्रीती।।
कहहु कवन मैं परम कुलीना। कपि चंचल सबहीं बिधि हीना।।
प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा।।
दो0-अस मैं अधम सखा सुनु मोहू पर रघुबीर।
कीन्ही कृपा सुमिरि गुन भरे बिलोचन नीर।।7।।
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जानतहूँ अस स्वामि बिसारी। फिरहिं ते काहे न होहिं दुखारी।।
एहि बिधि कहत राम गुन ग्रामा। पावा अनिर्बाच्य बिश्रामा।।
पुनि सब कथा बिभीषन कही। जेहि बिधि जनकसुता तहँ रही।।
तब हनुमंत कहा सुनु भ्राता। देखी चहउँ जानकी माता।।
जुगुति बिभीषन सकल सुनाई। चलेउ पवनसुत बिदा कराई।।
करि सोइ रूप गयउ पुनि तहवाँ। बन असोक सीता रह जहवाँ।।
देखि मनहि महुँ कीन्ह प्रनामा। बैठेहिं बीति जात निसि जामा।।
कृस तन सीस जटा एक बेनी। जपति हृदयँ रघुपति गुन श्रेनी।।
दो0-निज पद नयन दिएँ मन राम पद कमल लीन।
परम दुखी भा पवनसुत देखि जानकी दीन।।8।।
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तरु पल्लव महुँ रहा लुकाई। करइ बिचार करौं का भाई।।
तेहि अवसर रावनु तहँ आवा। संग नारि बहु किएँ बनावा।।
बहु बिधि खल सीतहि समुझावा। साम दान भय भेद देखावा।।
कह रावनु सुनु सुमुखि सयानी। मंदोदरी आदि सब रानी।।
तव अनुचरीं करउँ पन मोरा। एक बार बिलोकु मम ओरा।।
तृन धरि ओट कहति बैदेही। सुमिरि अवधपति परम सनेही।।
सुनु दसमुख खद्योत प्रकासा। कबहुँ कि नलिनी करइ बिकासा।।
अस मन समुझु कहति जानकी। खल सुधि नहिं रघुबीर बान की।।
सठ सूने हरि आनेहि मोहि। अधम निलज्ज लाज नहिं तोही।।
दो0- आपुहि सुनि खद्योत सम रामहि भानु समान।
परुष बचन सुनि काढ़ि असि बोला अति खिसिआन।।9।।
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सीता तैं मम कृत अपमाना। कटिहउँ तव सिर कठिन कृपाना।।
नाहिं त सपदि मानु मम बानी। सुमुखि होति न त जीवन हानी।।
स्याम सरोज दाम सम सुंदर। प्रभु भुज करि कर सम दसकंधर।।
सो भुज कंठ कि तव असि घोरा। सुनु सठ अस प्रवान पन मोरा।।
चंद्रहास हरु मम परितापं। रघुपति बिरह अनल संजातं।।
सीतल निसित बहसि बर धारा। कह सीता हरु मम दुख भारा।।
सुनत बचन पुनि मारन धावा। मयतनयाँ कहि नीति बुझावा।।
कहेसि सकल निसिचरिन्ह बोलाई। सीतहि बहु बिधि त्रासहु जाई।।
मास दिवस महुँ कहा न माना। तौ मैं मारबि काढ़ि कृपाना।।
दो0-भवन गयउ दसकंधर इहाँ पिसाचिनि बृंद।
सीतहि त्रास देखावहि धरहिं रूप बहु मंद।।10।।
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त्रिजटा नाम राच्छसी एका। राम चरन रति निपुन बिबेका।।
सबन्हौ बोलि सुनाएसि सपना। सीतहि सेइ करहु हित अपना।।
सपनें बानर लंका जारी। जातुधान सेना सब मारी।।
खर आरूढ़ नगन दससीसा। मुंडित सिर खंडित भुज बीसा।।
एहि बिधि सो दच्छिन दिसि जाई। लंका मनहुँ बिभीषन पाई।।
नगर फिरी रघुबीर दोहाई। तब प्रभु सीता बोलि पठाई।।
यह सपना में कहउँ पुकारी। होइहि सत्य गएँ दिन चारी।।
तासु बचन सुनि ते सब डरीं। जनकसुता के चरनन्हि परीं।।
दो0-जहँ तहँ गईं सकल तब सीता कर मन सोच।
मास दिवस बीतें मोहि मारिहि निसिचर पोच।।11।।
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त्रिजटा सन बोली कर जोरी। मातु बिपति संगिनि तैं मोरी।।
तजौं देह करु बेगि उपाई। दुसहु बिरहु अब नहिं सहि जाई।।
आनि काठ रचु चिता बनाई। मातु अनल पुनि देहि लगाई।।
सत्य करहि मम प्रीति सयानी। सुनै को श्रवन सूल सम बानी।।
सुनत बचन पद गहि समुझाएसि। प्रभु प्रताप बल सुजसु सुनाएसि।।
निसि न अनल मिल सुनु सुकुमारी। अस कहि सो निज भवन सिधारी।।
कह सीता बिधि भा प्रतिकूला। मिलहि न पावक मिटिहि न सूला।।
देखिअत प्रगट गगन अंगारा। अवनि न आवत एकउ तारा।।
पावकमय ससि स्त्रवत न आगी। मानहुँ मोहि जानि हतभागी।।
सुनहि बिनय मम बिटप असोका। सत्य नाम करु हरु मम सोका।।
नूतन किसलय अनल समाना। देहि अगिनि जनि करहि निदाना।।
देखि परम बिरहाकुल सीता। सो छन कपिहि कलप सम बीता।।
सो0-कपि करि हृदयँ बिचार दीन्हि मुद्रिका डारी तब।
जनु असोक अंगार दीन्हि हरषि उठि कर गहेउ।।12।।
तब देखी मुद्रिका मनोहर। राम नाम अंकित अति सुंदर।।
चकित चितव मुदरी पहिचानी। हरष बिषाद हृदयँ अकुलानी।।
जीति को सकइ अजय रघुराई। माया तें असि रचि नहिं जाई।।
सीता मन बिचार कर नाना। मधुर बचन बोलेउ हनुमाना।।
रामचंद्र गुन बरनैं लागा। सुनतहिं सीता कर दुख भागा।।
लागीं सुनैं श्रवन मन लाई। आदिहु तें सब कथा सुनाई।।
श्रवनामृत जेहिं कथा सुहाई। कहि सो प्रगट होति किन भाई।।
तब हनुमंत निकट चलि गयऊ। फिरि बैंठीं मन बिसमय भयऊ।।
राम दूत मैं मातु जानकी। सत्य सपथ करुनानिधान की।।
यह मुद्रिका मातु मैं आनी। दीन्हि राम तुम्ह कहँ सहिदानी।।
नर बानरहि संग कहु कैसें। कहि कथा भइ संगति जैसें।।
दो0-कपि के बचन सप्रेम सुनि उपजा मन बिस्वास।।
जाना मन क्रम बचन यह कृपासिंधु कर दास।।13।।
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हरिजन जानि प्रीति अति गाढ़ी। सजल नयन पुलकावलि बाढ़ी।।
बूड़त बिरह जलधि हनुमाना। भयउ तात मों कहुँ जलजाना।।
अब कहु कुसल जाउँ बलिहारी। अनुज सहित सुख भवन खरारी।।
कोमलचित कृपाल रघुराई। कपि केहि हेतु धरी निठुराई।।
सहज बानि सेवक सुख दायक। कबहुँक सुरति करत रघुनायक।।
कबहुँ नयन मम सीतल ताता। होइहहि निरखि स्याम मृदु गाता।।
बचनु न आव नयन भरे बारी। अहह नाथ हौं निपट बिसारी।।
देखि परम बिरहाकुल सीता। बोला कपि मृदु बचन बिनीता।।
मातु कुसल प्रभु अनुज समेता। तव दुख दुखी सुकृपा निकेता।।
जनि जननी मानहु जियँ ऊना। तुम्ह ते प्रेमु राम कें दूना।।
दो0-रघुपति कर संदेसु अब सुनु जननी धरि धीर।
अस कहि कपि गद गद भयउ भरे बिलोचन नीर।।14।।
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कहेउ राम बियोग तव सीता। मो कहुँ सकल भए बिपरीता।।
नव तरु किसलय मनहुँ कृसानू। कालनिसा सम निसि ससि भानू।।
कुबलय बिपिन कुंत बन सरिसा। बारिद तपत तेल जनु बरिसा।।
जे हित रहे करत तेइ पीरा। उरग स्वास सम त्रिबिध समीरा।।
कहेहू तें कछु दुख घटि होई। काहि कहौं यह जान न कोई।।
तत्व प्रेम कर मम अरु तोरा। जानत प्रिया एकु मनु मोरा।।
सो मनु सदा रहत तोहि पाहीं। जानु प्रीति रसु एतेनहि माहीं।।
प्रभु संदेसु सुनत बैदेही। मगन प्रेम तन सुधि नहिं तेही।।
कह कपि हृदयँ धीर धरु माता। सुमिरु राम सेवक सुखदाता।।
उर आनहु रघुपति प्रभुताई। सुनि मम बचन तजहु कदराई।।
दो0-निसिचर निकर पतंग सम रघुपति बान कृसानु।
जननी हृदयँ धीर धरु जरे निसाचर जानु।।15।।
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जौं रघुबीर होति सुधि पाई। करते नहिं बिलंबु रघुराई।।
रामबान रबि उएँ जानकी। तम बरूथ कहँ जातुधान की।।
अबहिं मातु मैं जाउँ लवाई। प्रभु आयसु नहिं राम दोहाई।।
कछुक दिवस जननी धरु धीरा। कपिन्ह सहित अइहहिं रघुबीरा।।
निसिचर मारि तोहि लै जैहहिं। तिहुँ पुर नारदादि जसु गैहहिं।।
हैं सुत कपि सब तुम्हहि समाना। जातुधान अति भट बलवाना।।
मोरें हृदय परम संदेहा। सुनि कपि प्रगट कीन्ह निज देहा।।
कनक भूधराकार सरीरा। समर भयंकर अतिबल बीरा।।
सीता मन भरोस तब भयऊ। पुनि लघु रूप पवनसुत लयऊ।।
दो0-सुनु माता साखामृग नहिं बल बुद्धि बिसाल।
प्रभु प्रताप तें गरुड़हि खाइ परम लघु ब्याल।।16।।
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मन संतोष सुनत कपि बानी। भगति प्रताप तेज बल सानी।।
आसिष दीन्हि रामप्रिय जाना। होहु तात बल सील निधाना।।
अजर अमर गुननिधि सुत होहू। करहुँ बहुत रघुनायक छोहू।।
करहुँ कृपा प्रभु अस सुनि काना। निर्भर प्रेम मगन हनुमाना।।
बार बार नाएसि पद सीसा। बोला बचन जोरि कर कीसा।।
अब कृतकृत्य भयउँ मैं माता। आसिष तव अमोघ बिख्याता।।
सुनहु मातु मोहि अतिसय भूखा। लागि देखि सुंदर फल रूखा।।
सुनु सुत करहिं बिपिन रखवारी। परम सुभट रजनीचर भारी।।
तिन्ह कर भय माता मोहि नाहीं। जौं तुम्ह सुख मानहु मन माहीं।।
दो0-देखि बुद्धि बल निपुन कपि कहेउ जानकीं जाहु।
रघुपति चरन हृदयँ धरि तात मधुर फल खाहु।।17।।
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चलेउ नाइ सिरु पैठेउ बागा। फल खाएसि तरु तोरैं लागा।।
रहे तहाँ बहु भट रखवारे। कछु मारेसि कछु जाइ पुकारे।।
नाथ एक आवा कपि भारी। तेहिं असोक बाटिका उजारी।।
खाएसि फल अरु बिटप उपारे। रच्छक मर्दि मर्दि महि डारे।।
सुनि रावन पठए भट नाना। तिन्हहि देखि गर्जेउ हनुमाना।।
सब रजनीचर कपि संघारे। गए पुकारत कछु अधमारे।।
पुनि पठयउ तेहिं अच्छकुमारा। चला संग लै सुभट अपारा।।
आवत देखि बिटप गहि तर्जा। ताहि निपाति महाधुनि गर्जा।।
दो0-कछु मारेसि कछु मर्देसि कछु मिलएसि धरि धूरि।
कछु पुनि जाइ पुकारे प्रभु मर्कट बल भूरि।।18।।
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सुनि सुत बध लंकेस रिसाना। पठएसि मेघनाद बलवाना।।
मारसि जनि सुत बांधेसु ताही। देखिअ कपिहि कहाँ कर आही।।
चला इंद्रजित अतुलित जोधा। बंधु निधन सुनि उपजा क्रोधा।।
कपि देखा दारुन भट आवा। कटकटाइ गर्जा अरु धावा।।
अति बिसाल तरु एक उपारा। बिरथ कीन्ह लंकेस कुमारा।।
रहे महाभट ताके संगा। गहि गहि कपि मर्दइ निज अंगा।।
तिन्हहि निपाति ताहि सन बाजा। भिरे जुगल मानहुँ गजराजा।
मुठिका मारि चढ़ा तरु जाई। ताहि एक छन मुरुछा आई।।
उठि बहोरि कीन्हिसि बहु माया। जीति न जाइ प्रभंजन जाया।।
दो0-ब्रह्म अस्त्र तेहिं साँधा कपि मन कीन्ह बिचार।
जौं न ब्रह्मसर मानउँ महिमा मिटइ अपार।।19।।
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ब्रह्मबान कपि कहुँ तेहि मारा। परतिहुँ बार कटकु संघारा।।
तेहि देखा कपि मुरुछित भयऊ। नागपास बाँधेसि लै गयऊ।।
जासु नाम जपि सुनहु भवानी। भव बंधन काटहिं नर ग्यानी।।
तासु दूत कि बंध तरु आवा। प्रभु कारज लगि कपिहिं बँधावा।।
कपि बंधन सुनि निसिचर धाए। कौतुक लागि सभाँ सब आए।।
दसमुख सभा दीखि कपि जाई। कहि न जाइ कछु अति प्रभुताई।।
कर जोरें सुर दिसिप बिनीता। भृकुटि बिलोकत सकल सभीता।।
देखि प्रताप न कपि मन संका। जिमि अहिगन महुँ गरुड़ असंका।।
दो0-कपिहि बिलोकि दसानन बिहसा कहि दुर्बाद।
सुत बध सुरति कीन्हि पुनि उपजा हृदयँ बिषाद।।20।।
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कह लंकेस कवन तैं कीसा। केहिं के बल घालेहि बन खीसा।।
की धौं श्रवन सुनेहि नहिं मोही। देखउँ अति असंक सठ तोही।।
मारे निसिचर केहिं अपराधा। कहु सठ तोहि न प्रान कइ बाधा।।
सुन रावन ब्रह्मांड निकाया। पाइ जासु बल बिरचित माया।।
जाकें बल बिरंचि हरि ईसा। पालत सृजत हरत दससीसा।
जा बल सीस धरत सहसानन। अंडकोस समेत गिरि कानन।।
धरइ जो बिबिध देह सुरत्राता। तुम्ह ते सठन्ह सिखावनु दाता।
हर कोदंड कठिन जेहि भंजा। तेहि समेत नृप दल मद गंजा।।
खर दूषन त्रिसिरा अरु बाली। बधे सकल अतुलित बलसाली।।
दो0-जाके बल लवलेस तें जितेहु चराचर झारि।
तासु दूत मैं जा करि हरि आनेहु प्रिय नारि।।21।।
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जानउँ मैं तुम्हरि प्रभुताई। सहसबाहु सन परी लराई।।
समर बालि सन करि जसु पावा। सुनि कपि बचन बिहसि बिहरावा।।
खायउँ फल प्रभु लागी भूँखा। कपि सुभाव तें तोरेउँ रूखा।।
सब कें देह परम प्रिय स्वामी। मारहिं मोहि कुमारग गामी।।
जिन्ह मोहि मारा ते मैं मारे। तेहि पर बाँधेउ तनयँ तुम्हारे।।
मोहि न कछु बाँधे कइ लाजा। कीन्ह चहउँ निज प्रभु कर काजा।।
बिनती करउँ जोरि कर रावन। सुनहु मान तजि मोर सिखावन।।
देखहु तुम्ह निज कुलहि बिचारी। भ्रम तजि भजहु भगत भय हारी।।
जाकें डर अति काल डेराई। जो सुर असुर चराचर खाई।।
तासों बयरु कबहुँ नहिं कीजै। मोरे कहें जानकी दीजै।।
दो0-प्रनतपाल रघुनायक करुना सिंधु खरारि।
गएँ सरन प्रभु राखिहैं तव अपराध बिसारि।।22।।
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राम चरन पंकज उर धरहू। लंका अचल राज तुम्ह करहू।।
रिषि पुलिस्त जसु बिमल मंयका। तेहि ससि महुँ जनि होहु कलंका।।
राम नाम बिनु गिरा न सोहा। देखु बिचारि त्यागि मद मोहा।।
बसन हीन नहिं सोह सुरारी। सब भूषण भूषित बर नारी।।
राम बिमुख संपति प्रभुताई। जाइ रही पाई बिनु पाई।।
सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं। बरषि गए पुनि तबहिं सुखाहीं।।
सुनु दसकंठ कहउँ पन रोपी। बिमुख राम त्राता नहिं कोपी।।
संकर सहस बिष्नु अज तोही। सकहिं न राखि राम कर द्रोही।।
दो0-मोहमूल बहु सूल प्रद त्यागहु तम अभिमान।
भजहु राम रघुनायक कृपा सिंधु भगवान।।23।।
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जदपि कहि कपि अति हित बानी। भगति बिबेक बिरति नय सानी।।
बोला बिहसि महा अभिमानी। मिला हमहि कपि गुर बड़ ग्यानी।।
मृत्यु निकट आई खल तोही। लागेसि अधम सिखावन मोही।।
उलटा होइहि कह हनुमाना। मतिभ्रम तोर प्रगट मैं जाना।।
सुनि कपि बचन बहुत खिसिआना। बेगि न हरहुँ मूढ़ कर प्राना।।
सुनत निसाचर मारन धाए। सचिवन्ह सहित बिभीषनु आए।
नाइ सीस करि बिनय बहूता। नीति बिरोध न मारिअ दूता।।
आन दंड कछु करिअ गोसाँई। सबहीं कहा मंत्र भल भाई।।
सुनत बिहसि बोला दसकंधर। अंग भंग करि पठइअ बंदर।।
दो-कपि कें ममता पूँछ पर सबहि कहउँ समुझाइ।
तेल बोरि पट बाँधि पुनि पावक देहु लगाइ।।24।।
–*–*–

पूँछहीन बानर तहँ जाइहि। तब सठ निज नाथहि लइ आइहि।।
जिन्ह कै कीन्हसि बहुत बड़ाई। देखेउँûमैं तिन्ह कै प्रभुताई।।
बचन सुनत कपि मन मुसुकाना। भइ सहाय सारद मैं जाना।।
जातुधान सुनि रावन बचना। लागे रचैं मूढ़ सोइ रचना।।
रहा न नगर बसन घृत तेला। बाढ़ी पूँछ कीन्ह कपि खेला।।
कौतुक कहँ आए पुरबासी। मारहिं चरन करहिं बहु हाँसी।।
बाजहिं ढोल देहिं सब तारी। नगर फेरि पुनि पूँछ प्रजारी।।
पावक जरत देखि हनुमंता। भयउ परम लघु रुप तुरंता।।
निबुकि चढ़ेउ कपि कनक अटारीं। भई सभीत निसाचर नारीं।।
दो0-हरि प्रेरित तेहि अवसर चले मरुत उनचास।
अट्टहास करि गर्जéा कपि बढ़ि लाग अकास।।25।।
–*–*–

देह बिसाल परम हरुआई। मंदिर तें मंदिर चढ़ धाई।।
जरइ नगर भा लोग बिहाला। झपट लपट बहु कोटि कराला।।
तात मातु हा सुनिअ पुकारा। एहि अवसर को हमहि उबारा।।
हम जो कहा यह कपि नहिं होई। बानर रूप धरें सुर कोई।।
साधु अवग्या कर फलु ऐसा। जरइ नगर अनाथ कर जैसा।।
जारा नगरु निमिष एक माहीं। एक बिभीषन कर गृह नाहीं।।
ता कर दूत अनल जेहिं सिरिजा। जरा न सो तेहि कारन गिरिजा।।
उलटि पलटि लंका सब जारी। कूदि परा पुनि सिंधु मझारी।।
दो0-पूँछ बुझाइ खोइ श्रम धरि लघु रूप बहोरि।
जनकसुता के आगें ठाढ़ भयउ कर जोरि।।26।।
–*–*–

मातु मोहि दीजे कछु चीन्हा। जैसें रघुनायक मोहि दीन्हा।।
चूड़ामनि उतारि तब दयऊ। हरष समेत पवनसुत लयऊ।।
कहेहु तात अस मोर प्रनामा। सब प्रकार प्रभु पूरनकामा।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।
तात सक्रसुत कथा सुनाएहु। बान प्रताप प्रभुहि समुझाएहु।।
मास दिवस महुँ नाथु न आवा। तौ पुनि मोहि जिअत नहिं पावा।।
कहु कपि केहि बिधि राखौं प्राना। तुम्हहू तात कहत अब जाना।।
तोहि देखि सीतलि भइ छाती। पुनि मो कहुँ सोइ दिनु सो राती।।
दो0-जनकसुतहि समुझाइ करि बहु बिधि धीरजु दीन्ह।
चरन कमल सिरु नाइ कपि गवनु राम पहिं कीन्ह।।27।।
–*–*–

चलत महाधुनि गर्जेसि भारी। गर्भ स्त्रवहिं सुनि निसिचर नारी।।
नाघि सिंधु एहि पारहि आवा। सबद किलकिला कपिन्ह सुनावा।।
हरषे सब बिलोकि हनुमाना। नूतन जन्म कपिन्ह तब जाना।।
मुख प्रसन्न तन तेज बिराजा। कीन्हेसि रामचन्द्र कर काजा।।
मिले सकल अति भए सुखारी। तलफत मीन पाव जिमि बारी।।
चले हरषि रघुनायक पासा। पूँछत कहत नवल इतिहासा।।
तब मधुबन भीतर सब आए। अंगद संमत मधु फल खाए।।
रखवारे जब बरजन लागे। मुष्टि प्रहार हनत सब भागे।।
दो0-जाइ पुकारे ते सब बन उजार जुबराज।
सुनि सुग्रीव हरष कपि करि आए प्रभु काज।।28।।
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जौं न होति सीता सुधि पाई। मधुबन के फल सकहिं कि खाई।।
एहि बिधि मन बिचार कर राजा। आइ गए कपि सहित समाजा।।
आइ सबन्हि नावा पद सीसा। मिलेउ सबन्हि अति प्रेम कपीसा।।
पूँछी कुसल कुसल पद देखी। राम कृपाँ भा काजु बिसेषी।।
नाथ काजु कीन्हेउ हनुमाना। राखे सकल कपिन्ह के प्राना।।
सुनि सुग्रीव बहुरि तेहि मिलेऊ। कपिन्ह सहित रघुपति पहिं चलेऊ।
राम कपिन्ह जब आवत देखा। किएँ काजु मन हरष बिसेषा।।
फटिक सिला बैठे द्वौ भाई। परे सकल कपि चरनन्हि जाई।।
दो0-प्रीति सहित सब भेटे रघुपति करुना पुंज।
पूँछी कुसल नाथ अब कुसल देखि पद कंज।।29।।
–*–*–

जामवंत कह सुनु रघुराया। जा पर नाथ करहु तुम्ह दाया।।
ताहि सदा सुभ कुसल निरंतर। सुर नर मुनि प्रसन्न ता ऊपर।।
सोइ बिजई बिनई गुन सागर। तासु सुजसु त्रेलोक उजागर।।
प्रभु कीं कृपा भयउ सबु काजू। जन्म हमार सुफल भा आजू।।
नाथ पवनसुत कीन्हि जो करनी। सहसहुँ मुख न जाइ सो बरनी।।
पवनतनय के चरित सुहाए। जामवंत रघुपतिहि सुनाए।।
सुनत कृपानिधि मन अति भाए। पुनि हनुमान हरषि हियँ लाए।।
कहहु तात केहि भाँति जानकी। रहति करति रच्छा स्वप्रान की।।
दो0-नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहिं प्रान केहिं बाट।।30।।
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चलत मोहि चूड़ामनि दीन्ही। रघुपति हृदयँ लाइ सोइ लीन्ही।।
नाथ जुगल लोचन भरि बारी। बचन कहे कछु जनककुमारी।।
अनुज समेत गहेहु प्रभु चरना। दीन बंधु प्रनतारति हरना।।
मन क्रम बचन चरन अनुरागी। केहि अपराध नाथ हौं त्यागी।।
अवगुन एक मोर मैं माना। बिछुरत प्रान न कीन्ह पयाना।।
नाथ सो नयनन्हि को अपराधा। निसरत प्रान करिहिं हठि बाधा।।
बिरह अगिनि तनु तूल समीरा। स्वास जरइ छन माहिं सरीरा।।
नयन स्त्रवहि जलु निज हित लागी। जरैं न पाव देह बिरहागी।
सीता के अति बिपति बिसाला। बिनहिं कहें भलि दीनदयाला।।
दो0-निमिष निमिष करुनानिधि जाहिं कलप सम बीति।
बेगि चलिय प्रभु आनिअ भुज बल खल दल जीति।।31।।
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सुनि सीता दुख प्रभु सुख अयना। भरि आए जल राजिव नयना।।
बचन काँय मन मम गति जाही। सपनेहुँ बूझिअ बिपति कि ताही।।
कह हनुमंत बिपति प्रभु सोई। जब तव सुमिरन भजन न होई।।
केतिक बात प्रभु जातुधान की। रिपुहि जीति आनिबी जानकी।।
सुनु कपि तोहि समान उपकारी। नहिं कोउ सुर नर मुनि तनुधारी।।
प्रति उपकार करौं का तोरा। सनमुख होइ न सकत मन मोरा।।
सुनु सुत उरिन मैं नाहीं। देखेउँ करि बिचार मन माहीं।।
पुनि पुनि कपिहि चितव सुरत्राता। लोचन नीर पुलक अति गाता।।
दो0-सुनि प्रभु बचन बिलोकि मुख गात हरषि हनुमंत।
चरन परेउ प्रेमाकुल त्राहि त्राहि भगवंत।।32।।
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बार बार प्रभु चहइ उठावा। प्रेम मगन तेहि उठब न भावा।।
प्रभु कर पंकज कपि कें सीसा। सुमिरि सो दसा मगन गौरीसा।।
सावधान मन करि पुनि संकर। लागे कहन कथा अति सुंदर।।
कपि उठाइ प्रभु हृदयँ लगावा। कर गहि परम निकट बैठावा।।
कहु कपि रावन पालित लंका। केहि बिधि दहेउ दुर्ग अति बंका।।
प्रभु प्रसन्न जाना हनुमाना। बोला बचन बिगत अभिमाना।।
साखामृग के बड़ि मनुसाई। साखा तें साखा पर जाई।।
नाघि सिंधु हाटकपुर जारा। निसिचर गन बिधि बिपिन उजारा।
सो सब तव प्रताप रघुराई। नाथ न कछू मोरि प्रभुताई।।
दो0- ता कहुँ प्रभु कछु अगम नहिं जा पर तुम्ह अनुकुल।
तब प्रभावँ बड़वानलहिं जारि सकइ खलु तूल।।33।।
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नाथ भगति अति सुखदायनी। देहु कृपा करि अनपायनी।।
सुनि प्रभु परम सरल कपि बानी। एवमस्तु तब कहेउ भवानी।।
उमा राम सुभाउ जेहिं जाना। ताहि भजनु तजि भाव न आना।।
यह संवाद जासु उर आवा। रघुपति चरन भगति सोइ पावा।।
सुनि प्रभु बचन कहहिं कपिबृंदा। जय जय जय कृपाल सुखकंदा।।
तब रघुपति कपिपतिहि बोलावा। कहा चलैं कर करहु बनावा।।
अब बिलंबु केहि कारन कीजे। तुरत कपिन्ह कहुँ आयसु दीजे।।
कौतुक देखि सुमन बहु बरषी। नभ तें भवन चले सुर हरषी।।
दो0-कपिपति बेगि बोलाए आए जूथप जूथ।
नाना बरन अतुल बल बानर भालु बरूथ।।34।।
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प्रभु पद पंकज नावहिं सीसा। गरजहिं भालु महाबल कीसा।।
देखी राम सकल कपि सेना। चितइ कृपा करि राजिव नैना।।
राम कृपा बल पाइ कपिंदा। भए पच्छजुत मनहुँ गिरिंदा।।
हरषि राम तब कीन्ह पयाना। सगुन भए सुंदर सुभ नाना।।
जासु सकल मंगलमय कीती। तासु पयान सगुन यह नीती।।
प्रभु पयान जाना बैदेहीं। फरकि बाम अँग जनु कहि देहीं।।
जोइ जोइ सगुन जानकिहि होई। असगुन भयउ रावनहि सोई।।
चला कटकु को बरनैं पारा। गर्जहि बानर भालु अपारा।।
नख आयुध गिरि पादपधारी। चले गगन महि इच्छाचारी।।
केहरिनाद भालु कपि करहीं। डगमगाहिं दिग्गज चिक्करहीं।।
छं0-चिक्करहिं दिग्गज डोल महि गिरि लोल सागर खरभरे।
मन हरष सभ गंधर्ब सुर मुनि नाग किन्नर दुख टरे।।
कटकटहिं मर्कट बिकट भट बहु कोटि कोटिन्ह धावहीं।
जय राम प्रबल प्रताप कोसलनाथ गुन गन गावहीं।।1।।
सहि सक न भार उदार अहिपति बार बारहिं मोहई।
गह दसन पुनि पुनि कमठ पृष्ट कठोर सो किमि सोहई।।
रघुबीर रुचिर प्रयान प्रस्थिति जानि परम सुहावनी।
जनु कमठ खर्पर सर्पराज सो लिखत अबिचल पावनी।।2।।
दो0-एहि बिधि जाइ कृपानिधि उतरे सागर तीर।
जहँ तहँ लागे खान फल भालु बिपुल कपि बीर।।35।।
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उहाँ निसाचर रहहिं ससंका। जब ते जारि गयउ कपि लंका।।
निज निज गृहँ सब करहिं बिचारा। नहिं निसिचर कुल केर उबारा।।
जासु दूत बल बरनि न जाई। तेहि आएँ पुर कवन भलाई।।
दूतन्हि सन सुनि पुरजन बानी। मंदोदरी अधिक अकुलानी।।
रहसि जोरि कर पति पग लागी। बोली बचन नीति रस पागी।।
कंत करष हरि सन परिहरहू। मोर कहा अति हित हियँ धरहु।।
समुझत जासु दूत कइ करनी। स्त्रवहीं गर्भ रजनीचर धरनी।।
तासु नारि निज सचिव बोलाई। पठवहु कंत जो चहहु भलाई।।
तब कुल कमल बिपिन दुखदाई। सीता सीत निसा सम आई।।
सुनहु नाथ सीता बिनु दीन्हें। हित न तुम्हार संभु अज कीन्हें।।
दो0–राम बान अहि गन सरिस निकर निसाचर भेक।
जब लगि ग्रसत न तब लगि जतनु करहु तजि टेक।।36।।
–*–*–

श्रवन सुनी सठ ता करि बानी। बिहसा जगत बिदित अभिमानी।।
सभय सुभाउ नारि कर साचा। मंगल महुँ भय मन अति काचा।।
जौं आवइ मर्कट कटकाई। जिअहिं बिचारे निसिचर खाई।।
कंपहिं लोकप जाकी त्रासा। तासु नारि सभीत बड़ि हासा।।
अस कहि बिहसि ताहि उर लाई। चलेउ सभाँ ममता अधिकाई।।
मंदोदरी हृदयँ कर चिंता। भयउ कंत पर बिधि बिपरीता।।
बैठेउ सभाँ खबरि असि पाई। सिंधु पार सेना सब आई।।
बूझेसि सचिव उचित मत कहहू। ते सब हँसे मष्ट करि रहहू।।
जितेहु सुरासुर तब श्रम नाहीं। नर बानर केहि लेखे माही।।
दो0-सचिव बैद गुर तीनि जौं प्रिय बोलहिं भय आस।
राज धर्म तन तीनि कर होइ बेगिहीं नास।।37।।
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सोइ रावन कहुँ बनि सहाई। अस्तुति करहिं सुनाइ सुनाई।।
अवसर जानि बिभीषनु आवा। भ्राता चरन सीसु तेहिं नावा।।
पुनि सिरु नाइ बैठ निज आसन। बोला बचन पाइ अनुसासन।।
जौ कृपाल पूँछिहु मोहि बाता। मति अनुरुप कहउँ हित ताता।।
जो आपन चाहै कल्याना। सुजसु सुमति सुभ गति सुख नाना।।
सो परनारि लिलार गोसाईं। तजउ चउथि के चंद कि नाई।।
चौदह भुवन एक पति होई। भूतद्रोह तिष्टइ नहिं सोई।।
गुन सागर नागर नर जोऊ। अलप लोभ भल कहइ न कोऊ।।
दो0- काम क्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पंथ।
सब परिहरि रघुबीरहि भजहु भजहिं जेहि संत।।38।।
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तात राम नहिं नर भूपाला। भुवनेस्वर कालहु कर काला।।
ब्रह्म अनामय अज भगवंता। ब्यापक अजित अनादि अनंता।।
गो द्विज धेनु देव हितकारी। कृपासिंधु मानुष तनुधारी।।
जन रंजन भंजन खल ब्राता। बेद धर्म रच्छक सुनु भ्राता।।
ताहि बयरु तजि नाइअ माथा। प्रनतारति भंजन रघुनाथा।।
देहु नाथ प्रभु कहुँ बैदेही। भजहु राम बिनु हेतु सनेही।।
सरन गएँ प्रभु ताहु न त्यागा। बिस्व द्रोह कृत अघ जेहि लागा।।
जासु नाम त्रय ताप नसावन। सोइ प्रभु प्रगट समुझु जियँ रावन।।
दो0-बार बार पद लागउँ बिनय करउँ दससीस।
परिहरि मान मोह मद भजहु कोसलाधीस।।39(क)।।
मुनि पुलस्ति निज सिष्य सन कहि पठई यह बात।
तुरत सो मैं प्रभु सन कही पाइ सुअवसरु तात।।39(ख)।।
–*–*–

माल्यवंत अति सचिव सयाना। तासु बचन सुनि अति सुख माना।।
तात अनुज तव नीति बिभूषन। सो उर धरहु जो कहत बिभीषन।।
रिपु उतकरष कहत सठ दोऊ। दूरि न करहु इहाँ हइ कोऊ।।
माल्यवंत गृह गयउ बहोरी। कहइ बिभीषनु पुनि कर जोरी।।
सुमति कुमति सब कें उर रहहीं। नाथ पुरान निगम अस कहहीं।।
जहाँ सुमति तहँ संपति नाना। जहाँ कुमति तहँ बिपति निदाना।।
तव उर कुमति बसी बिपरीता। हित अनहित मानहु रिपु प्रीता।।
कालराति निसिचर कुल केरी। तेहि सीता पर प्रीति घनेरी।।
दो0-तात चरन गहि मागउँ राखहु मोर दुलार।
सीत देहु राम कहुँ अहित न होइ तुम्हार।।40।।
–*–*–

बुध पुरान श्रुति संमत बानी। कही बिभीषन नीति बखानी।।
सुनत दसानन उठा रिसाई। खल तोहि निकट मुत्यु अब आई।।
जिअसि सदा सठ मोर जिआवा। रिपु कर पच्छ मूढ़ तोहि भावा।।
कहसि न खल अस को जग माहीं। भुज बल जाहि जिता मैं नाही।।
मम पुर बसि तपसिन्ह पर प्रीती। सठ मिलु जाइ तिन्हहि कहु नीती।।
अस कहि कीन्हेसि चरन प्रहारा। अनुज गहे पद बारहिं बारा।।
उमा संत कइ इहइ बड़ाई। मंद करत जो करइ भलाई।।
तुम्ह पितु सरिस भलेहिं मोहि मारा। रामु भजें हित नाथ तुम्हारा।।
सचिव संग लै नभ पथ गयऊ। सबहि सुनाइ कहत अस भयऊ।।
दो0=रामु सत्यसंकल्प प्रभु सभा कालबस तोरि।
मै रघुबीर सरन अब जाउँ देहु जनि खोरि।।41।।
–*–*–

अस कहि चला बिभीषनु जबहीं। आयूहीन भए सब तबहीं।।
साधु अवग्या तुरत भवानी। कर कल्यान अखिल कै हानी।।
रावन जबहिं बिभीषन त्यागा। भयउ बिभव बिनु तबहिं अभागा।।
चलेउ हरषि रघुनायक पाहीं। करत मनोरथ बहु मन माहीं।।
देखिहउँ जाइ चरन जलजाता। अरुन मृदुल सेवक सुखदाता।।
जे पद परसि तरी रिषिनारी। दंडक कानन पावनकारी।।
जे पद जनकसुताँ उर लाए। कपट कुरंग संग धर धाए।।
हर उर सर सरोज पद जेई। अहोभाग्य मै देखिहउँ तेई।।
दो0= जिन्ह पायन्ह के पादुकन्हि भरतु रहे मन लाइ।
ते पद आजु बिलोकिहउँ इन्ह नयनन्हि अब जाइ।।42।।
–*–*–

एहि बिधि करत सप्रेम बिचारा। आयउ सपदि सिंधु एहिं पारा।।
कपिन्ह बिभीषनु आवत देखा। जाना कोउ रिपु दूत बिसेषा।।
ताहि राखि कपीस पहिं आए। समाचार सब ताहि सुनाए।।
कह सुग्रीव सुनहु रघुराई। आवा मिलन दसानन भाई।।
कह प्रभु सखा बूझिऐ काहा। कहइ कपीस सुनहु नरनाहा।।
जानि न जाइ निसाचर माया। कामरूप केहि कारन आया।।
भेद हमार लेन सठ आवा। राखिअ बाँधि मोहि अस भावा।।
सखा नीति तुम्ह नीकि बिचारी। मम पन सरनागत भयहारी।।
सुनि प्रभु बचन हरष हनुमाना। सरनागत बच्छल भगवाना।।
दो0=सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि।
ते नर पावँर पापमय तिन्हहि बिलोकत हानि।।43।।
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कोटि बिप्र बध लागहिं जाहू। आएँ सरन तजउँ नहिं ताहू।।
सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं। जन्म कोटि अघ नासहिं तबहीं।।
पापवंत कर सहज सुभाऊ। भजनु मोर तेहि भाव न काऊ।।
जौं पै दुष्टहदय सोइ होई। मोरें सनमुख आव कि सोई।।
निर्मल मन जन सो मोहि पावा। मोहि कपट छल छिद्र न भावा।।
भेद लेन पठवा दससीसा। तबहुँ न कछु भय हानि कपीसा।।
जग महुँ सखा निसाचर जेते। लछिमनु हनइ निमिष महुँ तेते।।
जौं सभीत आवा सरनाई। रखिहउँ ताहि प्रान की नाई।।
दो0=उभय भाँति तेहि आनहु हँसि कह कृपानिकेत।
जय कृपाल कहि चले अंगद हनू समेत।।44।।
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सादर तेहि आगें करि बानर। चले जहाँ रघुपति करुनाकर।।
दूरिहि ते देखे द्वौ भ्राता। नयनानंद दान के दाता।।
बहुरि राम छबिधाम बिलोकी। रहेउ ठटुकि एकटक पल रोकी।।
भुज प्रलंब कंजारुन लोचन। स्यामल गात प्रनत भय मोचन।।
सिंघ कंध आयत उर सोहा। आनन अमित मदन मन मोहा।।
नयन नीर पुलकित अति गाता। मन धरि धीर कही मृदु बाता।।
नाथ दसानन कर मैं भ्राता। निसिचर बंस जनम सुरत्राता।।
सहज पापप्रिय तामस देहा। जथा उलूकहि तम पर नेहा।।
दो0-श्रवन सुजसु सुनि आयउँ प्रभु भंजन भव भीर।
त्राहि त्राहि आरति हरन सरन सुखद रघुबीर।।45।।
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अस कहि करत दंडवत देखा। तुरत उठे प्रभु हरष बिसेषा।।
दीन बचन सुनि प्रभु मन भावा। भुज बिसाल गहि हृदयँ लगावा।।
अनुज सहित मिलि ढिग बैठारी। बोले बचन भगत भयहारी।।
कहु लंकेस सहित परिवारा। कुसल कुठाहर बास तुम्हारा।।
खल मंडलीं बसहु दिनु राती। सखा धरम निबहइ केहि भाँती।।
मैं जानउँ तुम्हारि सब रीती। अति नय निपुन न भाव अनीती।।
बरु भल बास नरक कर ताता। दुष्ट संग जनि देइ बिधाता।।
अब पद देखि कुसल रघुराया। जौं तुम्ह कीन्ह जानि जन दाया।।
दो0-तब लगि कुसल न जीव कहुँ सपनेहुँ मन बिश्राम।
जब लगि भजत न राम कहुँ सोक धाम तजि काम।।46।।
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तब लगि हृदयँ बसत खल नाना। लोभ मोह मच्छर मद माना।।
जब लगि उर न बसत रघुनाथा। धरें चाप सायक कटि भाथा।।
ममता तरुन तमी अँधिआरी। राग द्वेष उलूक सुखकारी।।
तब लगि बसति जीव मन माहीं। जब लगि प्रभु प्रताप रबि नाहीं।।
अब मैं कुसल मिटे भय भारे। देखि राम पद कमल तुम्हारे।।
तुम्ह कृपाल जा पर अनुकूला। ताहि न ब्याप त्रिबिध भव सूला।।
मैं निसिचर अति अधम सुभाऊ। सुभ आचरनु कीन्ह नहिं काऊ।।
जासु रूप मुनि ध्यान न आवा। तेहिं प्रभु हरषि हृदयँ मोहि लावा।।
दो0–अहोभाग्य मम अमित अति राम कृपा सुख पुंज।
देखेउँ नयन बिरंचि सिब सेब्य जुगल पद कंज।।47।।
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सुनहु सखा निज कहउँ सुभाऊ। जान भुसुंडि संभु गिरिजाऊ।।
जौं नर होइ चराचर द्रोही। आवे सभय सरन तकि मोही।।
तजि मद मोह कपट छल नाना। करउँ सद्य तेहि साधु समाना।।
जननी जनक बंधु सुत दारा। तनु धनु भवन सुह्रद परिवारा।।
सब कै ममता ताग बटोरी। मम पद मनहि बाँध बरि डोरी।।
समदरसी इच्छा कछु नाहीं। हरष सोक भय नहिं मन माहीं।।
अस सज्जन मम उर बस कैसें। लोभी हृदयँ बसइ धनु जैसें।।
तुम्ह सारिखे संत प्रिय मोरें। धरउँ देह नहिं आन निहोरें।।
दो0- सगुन उपासक परहित निरत नीति दृढ़ नेम।
ते नर प्रान समान मम जिन्ह कें द्विज पद प्रेम।।48।।
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सुनु लंकेस सकल गुन तोरें। तातें तुम्ह अतिसय प्रिय मोरें।।
राम बचन सुनि बानर जूथा। सकल कहहिं जय कृपा बरूथा।।
सुनत बिभीषनु प्रभु कै बानी। नहिं अघात श्रवनामृत जानी।।
पद अंबुज गहि बारहिं बारा। हृदयँ समात न प्रेमु अपारा।।
सुनहु देव सचराचर स्वामी। प्रनतपाल उर अंतरजामी।।
उर कछु प्रथम बासना रही। प्रभु पद प्रीति सरित सो बही।।
अब कृपाल निज भगति पावनी। देहु सदा सिव मन भावनी।।
एवमस्तु कहि प्रभु रनधीरा। मागा तुरत सिंधु कर नीरा।।
जदपि सखा तव इच्छा नाहीं। मोर दरसु अमोघ जग माहीं।।
अस कहि राम तिलक तेहि सारा। सुमन बृष्टि नभ भई अपारा।।
दो0-रावन क्रोध अनल निज स्वास समीर प्रचंड।
जरत बिभीषनु राखेउ दीन्हेहु राजु अखंड।।49(क)।।
जो संपति सिव रावनहि दीन्हि दिएँ दस माथ।
सोइ संपदा बिभीषनहि सकुचि दीन्ह रघुनाथ।।49(ख)।।
–*–*–

अस प्रभु छाड़ि भजहिं जे आना। ते नर पसु बिनु पूँछ बिषाना।।
निज जन जानि ताहि अपनावा। प्रभु सुभाव कपि कुल मन भावा।।
पुनि सर्बग्य सर्ब उर बासी। सर्बरूप सब रहित उदासी।।
बोले बचन नीति प्रतिपालक। कारन मनुज दनुज कुल घालक।।
सुनु कपीस लंकापति बीरा। केहि बिधि तरिअ जलधि गंभीरा।।
संकुल मकर उरग झष जाती। अति अगाध दुस्तर सब भाँती।।
कह लंकेस सुनहु रघुनायक। कोटि सिंधु सोषक तव सायक।।
जद्यपि तदपि नीति असि गाई। बिनय करिअ सागर सन जाई।।
दो0-प्रभु तुम्हार कुलगुर जलधि कहिहि उपाय बिचारि।
बिनु प्रयास सागर तरिहि सकल भालु कपि धारि।।50।।
–*–*–

सखा कही तुम्ह नीकि उपाई। करिअ दैव जौं होइ सहाई।।
मंत्र न यह लछिमन मन भावा। राम बचन सुनि अति दुख पावा।।
नाथ दैव कर कवन भरोसा। सोषिअ सिंधु करिअ मन रोसा।।
कादर मन कहुँ एक अधारा। दैव दैव आलसी पुकारा।।
सुनत बिहसि बोले रघुबीरा। ऐसेहिं करब धरहु मन धीरा।।
अस कहि प्रभु अनुजहि समुझाई। सिंधु समीप गए रघुराई।।
प्रथम प्रनाम कीन्ह सिरु नाई। बैठे पुनि तट दर्भ डसाई।।
जबहिं बिभीषन प्रभु पहिं आए। पाछें रावन दूत पठाए।।
दो0-सकल चरित तिन्ह देखे धरें कपट कपि देह।
प्रभु गुन हृदयँ सराहहिं सरनागत पर नेह।।51।।
–*–*–

प्रगट बखानहिं राम सुभाऊ। अति सप्रेम गा बिसरि दुराऊ।।
रिपु के दूत कपिन्ह तब जाने। सकल बाँधि कपीस पहिं आने।।
कह सुग्रीव सुनहु सब बानर। अंग भंग करि पठवहु निसिचर।।
सुनि सुग्रीव बचन कपि धाए। बाँधि कटक चहु पास फिराए।।
बहु प्रकार मारन कपि लागे। दीन पुकारत तदपि न त्यागे।।
जो हमार हर नासा काना। तेहि कोसलाधीस कै आना।।
सुनि लछिमन सब निकट बोलाए। दया लागि हँसि तुरत छोडाए।।
रावन कर दीजहु यह पाती। लछिमन बचन बाचु कुलघाती।।
दो0-कहेहु मुखागर मूढ़ सन मम संदेसु उदार।
सीता देइ मिलेहु न त आवा काल तुम्हार।।52।।
–*–*–

तुरत नाइ लछिमन पद माथा। चले दूत बरनत गुन गाथा।।
कहत राम जसु लंकाँ आए। रावन चरन सीस तिन्ह नाए।।
बिहसि दसानन पूँछी बाता। कहसि न सुक आपनि कुसलाता।।
पुनि कहु खबरि बिभीषन केरी। जाहि मृत्यु आई अति नेरी।।
करत राज लंका सठ त्यागी। होइहि जब कर कीट अभागी।।
पुनि कहु भालु कीस कटकाई। कठिन काल प्रेरित चलि आई।।
जिन्ह के जीवन कर रखवारा। भयउ मृदुल चित सिंधु बिचारा।।
कहु तपसिन्ह कै बात बहोरी। जिन्ह के हृदयँ त्रास अति मोरी।।
दो0–की भइ भेंट कि फिरि गए श्रवन सुजसु सुनि मोर।
कहसि न रिपु दल तेज बल बहुत चकित चित तोर।।53।।
–*–*–

नाथ कृपा करि पूँछेहु जैसें। मानहु कहा क्रोध तजि तैसें।।
मिला जाइ जब अनुज तुम्हारा। जातहिं राम तिलक तेहि सारा।।
रावन दूत हमहि सुनि काना। कपिन्ह बाँधि दीन्हे दुख नाना।।
श्रवन नासिका काटै लागे। राम सपथ दीन्हे हम त्यागे।।
पूँछिहु नाथ राम कटकाई। बदन कोटि सत बरनि न जाई।।
नाना बरन भालु कपि धारी। बिकटानन बिसाल भयकारी।।
जेहिं पुर दहेउ हतेउ सुत तोरा। सकल कपिन्ह महँ तेहि बलु थोरा।।
अमित नाम भट कठिन कराला। अमित नाग बल बिपुल बिसाला।।
दो0-द्विबिद मयंद नील नल अंगद गद बिकटासि।
दधिमुख केहरि निसठ सठ जामवंत बलरासि।।54।।
–*–*–

ए कपि सब सुग्रीव समाना। इन्ह सम कोटिन्ह गनइ को नाना।।
राम कृपाँ अतुलित बल तिन्हहीं। तृन समान त्रेलोकहि गनहीं।।
अस मैं सुना श्रवन दसकंधर। पदुम अठारह जूथप बंदर।।
नाथ कटक महँ सो कपि नाहीं। जो न तुम्हहि जीतै रन माहीं।।
परम क्रोध मीजहिं सब हाथा। आयसु पै न देहिं रघुनाथा।।
सोषहिं सिंधु सहित झष ब्याला। पूरहीं न त भरि कुधर बिसाला।।
मर्दि गर्द मिलवहिं दससीसा। ऐसेइ बचन कहहिं सब कीसा।।
गर्जहिं तर्जहिं सहज असंका। मानहु ग्रसन चहत हहिं लंका।।
दो0–सहज सूर कपि भालु सब पुनि सिर पर प्रभु राम।
रावन काल कोटि कहु जीति सकहिं संग्राम।।55।।
–*–*–

राम तेज बल बुधि बिपुलाई। सेष सहस सत सकहिं न गाई।।
सक सर एक सोषि सत सागर। तव भ्रातहि पूँछेउ नय नागर।।
तासु बचन सुनि सागर पाहीं। मागत पंथ कृपा मन माहीं।।
सुनत बचन बिहसा दससीसा। जौं असि मति सहाय कृत कीसा।।
सहज भीरु कर बचन दृढ़ाई। सागर सन ठानी मचलाई।।
मूढ़ मृषा का करसि बड़ाई। रिपु बल बुद्धि थाह मैं पाई।।
सचिव सभीत बिभीषन जाकें। बिजय बिभूति कहाँ जग ताकें।।
सुनि खल बचन दूत रिस बाढ़ी। समय बिचारि पत्रिका काढ़ी।।
रामानुज दीन्ही यह पाती। नाथ बचाइ जुड़ावहु छाती।।
बिहसि बाम कर लीन्ही रावन। सचिव बोलि सठ लाग बचावन।।
दो0–बातन्ह मनहि रिझाइ सठ जनि घालसि कुल खीस।
राम बिरोध न उबरसि सरन बिष्नु अज ईस।।56(क)।।
की तजि मान अनुज इव प्रभु पद पंकज भृंग।
होहि कि राम सरानल खल कुल सहित पतंग।।56(ख)।।
–*–*–

सुनत सभय मन मुख मुसुकाई। कहत दसानन सबहि सुनाई।।
भूमि परा कर गहत अकासा। लघु तापस कर बाग बिलासा।।
कह सुक नाथ सत्य सब बानी। समुझहु छाड़ि प्रकृति अभिमानी।।
सुनहु बचन मम परिहरि क्रोधा। नाथ राम सन तजहु बिरोधा।।
अति कोमल रघुबीर सुभाऊ। जद्यपि अखिल लोक कर राऊ।।
मिलत कृपा तुम्ह पर प्रभु करिही। उर अपराध न एकउ धरिही।।
जनकसुता रघुनाथहि दीजे। एतना कहा मोर प्रभु कीजे।
जब तेहिं कहा देन बैदेही। चरन प्रहार कीन्ह सठ तेही।।
नाइ चरन सिरु चला सो तहाँ। कृपासिंधु रघुनायक जहाँ।।
करि प्रनामु निज कथा सुनाई। राम कृपाँ आपनि गति पाई।।
रिषि अगस्ति कीं साप भवानी। राछस भयउ रहा मुनि ग्यानी।।
बंदि राम पद बारहिं बारा। मुनि निज आश्रम कहुँ पगु धारा।।
दो0-बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीन दिन बीति।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति।।57।।
–*–*–

लछिमन बान सरासन आनू। सोषौं बारिधि बिसिख कृसानू।।
सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीती। सहज कृपन सन सुंदर नीती।।
ममता रत सन ग्यान कहानी। अति लोभी सन बिरति बखानी।।
क्रोधिहि सम कामिहि हरि कथा। ऊसर बीज बएँ फल जथा।।
अस कहि रघुपति चाप चढ़ावा। यह मत लछिमन के मन भावा।।
संघानेउ प्रभु बिसिख कराला। उठी उदधि उर अंतर ज्वाला।।
मकर उरग झष गन अकुलाने। जरत जंतु जलनिधि जब जाने।।
कनक थार भरि मनि गन नाना। बिप्र रूप आयउ तजि माना।।
दो0-काटेहिं पइ कदरी फरइ कोटि जतन कोउ सींच।
बिनय न मान खगेस सुनु डाटेहिं पइ नव नीच।।58।।
–*–*–

सभय सिंधु गहि पद प्रभु केरे। छमहु नाथ सब अवगुन मेरे।।
गगन समीर अनल जल धरनी। इन्ह कइ नाथ सहज जड़ करनी।।
तव प्रेरित मायाँ उपजाए। सृष्टि हेतु सब ग्रंथनि गाए।।
प्रभु आयसु जेहि कहँ जस अहई। सो तेहि भाँति रहे सुख लहई।।
प्रभु भल कीन्ही मोहि सिख दीन्ही। मरजादा पुनि तुम्हरी कीन्ही।।
ढोल गवाँर सूद्र पसु नारी। सकल ताड़ना के अधिकारी।।
प्रभु प्रताप मैं जाब सुखाई। उतरिहि कटकु न मोरि बड़ाई।।
प्रभु अग्या अपेल श्रुति गाई। करौं सो बेगि जौ तुम्हहि सोहाई।।
दो0-सुनत बिनीत बचन अति कह कृपाल मुसुकाइ।
जेहि बिधि उतरै कपि कटकु तात सो कहहु उपाइ।।59।।
–*–*–

नाथ नील नल कपि द्वौ भाई। लरिकाई रिषि आसिष पाई।।
तिन्ह के परस किएँ गिरि भारे। तरिहहिं जलधि प्रताप तुम्हारे।।
मैं पुनि उर धरि प्रभुताई। करिहउँ बल अनुमान सहाई।।
एहि बिधि नाथ पयोधि बँधाइअ। जेहिं यह सुजसु लोक तिहुँ गाइअ।।
एहि सर मम उत्तर तट बासी। हतहु नाथ खल नर अघ रासी।।
सुनि कृपाल सागर मन पीरा। तुरतहिं हरी राम रनधीरा।।
देखि राम बल पौरुष भारी। हरषि पयोनिधि भयउ सुखारी।।
सकल चरित कहि प्रभुहि सुनावा। चरन बंदि पाथोधि सिधावा।।
छं0-निज भवन गवनेउ सिंधु श्रीरघुपतिहि यह मत भायऊ।
यह चरित कलि मलहर जथामति दास तुलसी गायऊ।।
सुख भवन संसय समन दवन बिषाद रघुपति गुन गना।।
तजि सकल आस भरोस गावहि सुनहि संतत सठ मना।।
दो0-सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान।।60।।

इति श्रीमद्रामचरितमानसे सकलकलिकलुषविध्वंसने
पञ्चमः सोपानः समाप्तः।
सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ,
(इति सुन्दरकाण्ड समाप्त)

।सुन्दरकाण्ड समापन दोहा।
कथा विसर्जन होत है,
सुनहु वीर हनुमान।
जो जन जहाँ से आत है,
जह तह करो प्रयाण।।
राम लखन सिया जानकी,
सदा करहूँ कल्याण।
रामायण वैकुण्ठ की,
विदा होत हनुमान।।
सियावर रामचंद्र की जय।
पवनसुत हनुमान की जय।

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श्री हनुमान चालीसा।
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श्री रामायण विसर्जन वंदना।

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Sundarkand Path Hindi Lyrics (English Transliteration)

sampUrNa sundarakANDa pATha,
|| pa~nchama sopAna sundarakANDa||

||Asana||
kathA prArambha hota hai| sunahu.N vIra hanumAna||
AsAna lIjo prema se| karahu.N sadA kalyANa||

shloka
shAntaM shAshvatamaprameyamanaghaM nirvANashAntipradaM,
brahmAshambhuphaNIndrasevyamanishaM vedAntavedyaM vibhum,
rAmAkhyaM jagadIshvaraM suraguruM mAyAmanuShyaM hariM,
vande.ahaM karuNAkaraM raghuvaraM bhUpAlachUड़AmaNim||1||

nAnyA spRRihA raghupate hRRidaye.asmadIye
satyaM vadAmi cha bhavAnakhilAntarAtmA|
bhaktiM prayachCha raghupu~Ngava nirbharAM me
kAmAdidoSharahitaM kuru mAnasaM cha||2||

atulitabaladhAmaM hemashailAbhadehaM
danujavanakRRishAnuM j~nAninAmagragaNyam|
sakalaguNanidhAnaM vAnarANAmadhIshaM
raghupatipriyabhaktaM vAtajAtaM namAmi||3||

jAmavaMta ke bachana suhAe| suni hanumaMta hRRidaya ati bhAe||
taba lagi mohi parikhehu tumha bhAI| sahi dukha kaMda mUla phala khAI||
jaba lagi AvauM sItahi dekhI| hoihi kAju mohi haraSha biseShI||
yaha kahi nAi sabanhi kahu.N mAthA| chaleu haraShi hiya.N dhari raghunAthA||
siMdhu tIra eka bhUdhara suMdara| kautuka kUdi chaढ़eu tA Upara||
bAra bAra raghubIra sa.NbhArI| tarakeu pavanatanaya bala bhArI||
jehiM giri charana dei hanumaMtA| chaleu so gA pAtAla turaMtA||
jimi amogha raghupati kara bAnA| ehI bhA.Nti chaleu hanumAnA||
jalanidhi raghupati dUta bichArI| taiM mainAka hohi shramahArI||
do0- hanUmAna tehi parasA kara puni kInha pranAma|
rAma kAju kInheM binu mohi kahA.N bishrAma||1||
–*–*–

jAta pavanasuta devanha dekhA| jAnaiM kahu.N bala buddhi biseShA||
surasA nAma ahinha kai mAtA| paThainhi Ai kahI tehiM bAtA||
Aju suranha mohi dInha ahArA| sunata bachana kaha pavanakumArA||
rAma kAju kari phiri maiM AvauM| sItA kai sudhi prabhuhi sunAvauM||
taba tava badana paiThihau.N AI| satya kahau.N mohi jAna de mAI||
kabanehu.N jatana dei nahiM jAnA| grasasi na mohi kaheu hanumAnA||
jojana bhari tehiM badanu pasArA| kapi tanu kInha duguna bistArA||
soraha jojana mukha tehiM ThayaU| turata pavanasuta battisa bhayaU||
jasa jasa surasA badanu baढ़AvA| tAsu dUna kapi rUpa dekhAvA||
sata jojana tehiM Anana kInhA| ati laghu rUpa pavanasuta lInhA||
badana paiThi puni bAhera AvA| mAgA bidA tAhi siru nAvA||
mohi suranha jehi lAgi paThAvA| budhi bala maramu tora mai pAvA||
do0-rAma kAju sabu karihahu tumha bala buddhi nidhAna|
AsiSha deha gaI so haraShi chaleu hanumAna||2||
–*–*–

nisichari eka siMdhu mahu.N rahaI| kari mAyA nabhu ke khaga gahaI||
jIva jaMtu je gagana uड़AhIM| jala biloki tinha kai pariChAhIM||
gahai ChAha.N saka so na uड़AI| ehi bidhi sadA gaganachara khAI||
soi Chala hanUmAna kaha.N kInhA| tAsu kapaTu kapi turatahiM chInhA||
tAhi mAri mArutasuta bIrA| bAridhi pAra gayau matidhIrA||
tahA.N jAi dekhI bana sobhA| guMjata chaMcharIka madhu lobhA||
nAnA taru phala phUla suhAe| khaga mRRiga bRRiMda dekhi mana bhAe||
saila bisAla dekhi eka AgeM| tA para dhAi chaDheu bhaya tyAgeM||
umA na kaChu kapi kai adhikAI| prabhu pratApa jo kAlahi khAI||
giri para chaDhi laMkA tehiM dekhI| kahi na jAi ati durga biseShI||
ati utaMga jalanidhi chahu pAsA| kanaka koTa kara parama prakAsA||
ChaM=kanaka koTa bichitra mani kRRita suMdarAyatanA ghanA|
chauhaTTa haTTa subaTTa bIthIM chAru pura bahu bidhi banA||
gaja bAji khachchara nikara padachara ratha barUthinha ko ganai||
bahurUpa nisichara jUtha atibala sena baranata nahiM banai||1||
bana bAga upabana bATikA sara kUpa bApIM sohahIM|
nara nAga sura gaMdharba kanyA rUpa muni mana mohahIM||
kahu.N mAla deha bisAla saila samAna atibala garjahIM|
nAnA akhArenha bhirahiM bahu bidhi eka ekanha tarjahIM||2||
kari jatana bhaTa koTinha bikaTa tana nagara chahu.N disi rachChahIM|
kahu.N mahiSha mAnaShu dhenu khara aja khala nisAchara bhachChahIM||
ehi lAgi tulasIdAsa inha kI kathA kaChu eka hai kahI|
raghubIra sara tIratha sarIranhi tyAgi gati paihahiM sahI||3||
do0-pura rakhavAre dekhi bahu kapi mana kInha bichAra|
ati laghu rUpa dharauM nisi nagara karauM paisAra||3||
–*–*–

masaka samAna rUpa kapi dharI| laMkahi chaleu sumiri naraharI||
nAma laMkinI eka nisicharI| so kaha chalesi mohi niMdarI||
jAnehi nahIM maramu saTha morA| mora ahAra jahA.N lagi chorA||
muThikA eka mahA kapi hanI| rudhira bamata dharanIM DhanamanI||
puni saMbhAri uThi so laMkA| jori pAni kara binaya saMsakA||
jaba rAvanahi brahma bara dInhA| chalata biraMchi kahA mohi chInhA||
bikala hosi taiM kapi keM mAre| taba jAnesu nisichara saMghAre||
tAta mora ati punya bahUtA| dekheu.N nayana rAma kara dUtA||
do0-tAta svarga apabarga sukha dharia tulA eka aMga|
tUla na tAhi sakala mili jo sukha lava satasaMga||4||
–*–*–

prabisi nagara kIje saba kAjA| hRRidaya.N rAkhi kausalapura rAjA||
garala sudhA ripu karahiM mitAI| gopada siMdhu anala sitalAI||
garuड़ sumeru renU sama tAhI| rAma kRRipA kari chitavA jAhI||
ati laghu rUpa dhareu hanumAnA| paiThA nagara sumiri bhagavAnA||
maMdira maMdira prati kari sodhA| dekhe jaha.N taha.N aganita jodhA||
gayau dasAnana maMdira mAhIM| ati bichitra kahi jAta so nAhIM||
sayana kie dekhA kapi tehI| maMdira mahu.N na dIkhi baidehI||
bhavana eka puni dIkha suhAvA| hari maMdira taha.N bhinna banAvA||
do0-rAmAyudha aMkita gRRiha sobhA barani na jAi|
nava tulasikA bRRiMda taha.N dekhi haraShi kapirAi||5||
–*–*–

laMkA nisichara nikara nivAsA| ihA.N kahA.N sajjana kara bAsA||
mana mahu.N taraka karai kapi lAgA| tehIM samaya bibhIShanu jAgA||
rAma rAma tehiM sumirana kInhA| hRRidaya.N haraSha kapi sajjana chInhA||
ehi sana haThi karihau.N pahichAnI| sAdhu te hoi na kAraja hAnI||
bipra rupa dhari bachana sunAe| sunata bibhIShaNa uThi taha.N Ae||
kari pranAma pU.NChI kusalAI| bipra kahahu nija kathA bujhAI||
kI tumha hari dAsanha maha.N koI| moreM hRRidaya prIti ati hoI||
kI tumha rAmu dIna anurAgI| Ayahu mohi karana baड़bhAgI||
do0-taba hanumaMta kahI saba rAma kathA nija nAma|
sunata jugala tana pulaka mana magana sumiri guna grAma||6||
–*–*–

sunahu pavanasuta rahani hamArI| jimi dasananhi mahu.N jIbha bichArI||
tAta kabahu.N mohi jAni anAthA| karihahiM kRRipA bhAnukula nAthA||
tAmasa tanu kaChu sAdhana nAhIM| prIti na pada saroja mana mAhIM||
aba mohi bhA bharosa hanumaMtA| binu harikRRipA milahiM nahiM saMtA||
jau raghubIra anugraha kInhA| tau tumha mohi darasu haThi dInhA||
sunahu bibhIShana prabhu kai rItI| karahiM sadA sevaka para prItI||
kahahu kavana maiM parama kulInA| kapi chaMchala sabahIM bidhi hInA||
prAta lei jo nAma hamArA| tehi dina tAhi na milai ahArA||
do0-asa maiM adhama sakhA sunu mohU para raghubIra|
kInhI kRRipA sumiri guna bhare bilochana nIra||7||
–*–*–

jAnatahU.N asa svAmi bisArI| phirahiM te kAhe na hohiM dukhArI||
ehi bidhi kahata rAma guna grAmA| pAvA anirbAchya bishrAmA||
puni saba kathA bibhIShana kahI| jehi bidhi janakasutA taha.N rahI||
taba hanumaMta kahA sunu bhrAtA| dekhI chahau.N jAnakI mAtA||
juguti bibhIShana sakala sunAI| chaleu pavanasuta bidA karAI||
kari soi rUpa gayau puni tahavA.N| bana asoka sItA raha jahavA.N||
dekhi manahi mahu.N kInha pranAmA| baiThehiM bIti jAta nisi jAmA||
kRRisa tana sIsa jaTA eka benI| japati hRRidaya.N raghupati guna shrenI||
do0-nija pada nayana die.N mana rAma pada kamala lIna|
parama dukhI bhA pavanasuta dekhi jAnakI dIna||8||
–*–*–

taru pallava mahu.N rahA lukAI| karai bichAra karauM kA bhAI||
tehi avasara rAvanu taha.N AvA| saMga nAri bahu kie.N banAvA||
bahu bidhi khala sItahi samujhAvA| sAma dAna bhaya bheda dekhAvA||
kaha rAvanu sunu sumukhi sayAnI| maMdodarI Adi saba rAnI||
tava anucharIM karau.N pana morA| eka bAra biloku mama orA||
tRRina dhari oTa kahati baidehI| sumiri avadhapati parama sanehI||
sunu dasamukha khadyota prakAsA| kabahu.N ki nalinI karai bikAsA||
asa mana samujhu kahati jAnakI| khala sudhi nahiM raghubIra bAna kI||
saTha sUne hari Anehi mohi| adhama nilajja lAja nahiM tohI||
do0- Apuhi suni khadyota sama rAmahi bhAnu samAna|
paruSha bachana suni kAढ़i asi bolA ati khisiAna||9||
–*–*–

sItA taiM mama kRRita apamAnA| kaTihau.N tava sira kaThina kRRipAnA||
nAhiM ta sapadi mAnu mama bAnI| sumukhi hoti na ta jIvana hAnI||
syAma saroja dAma sama suMdara| prabhu bhuja kari kara sama dasakaMdhara||
so bhuja kaMTha ki tava asi ghorA| sunu saTha asa pravAna pana morA||
chaMdrahAsa haru mama paritApaM| raghupati biraha anala saMjAtaM||
sItala nisita bahasi bara dhArA| kaha sItA haru mama dukha bhArA||
sunata bachana puni mArana dhAvA| mayatanayA.N kahi nIti bujhAvA||
kahesi sakala nisicharinha bolAI| sItahi bahu bidhi trAsahu jAI||
mAsa divasa mahu.N kahA na mAnA| tau maiM mArabi kAढ़i kRRipAnA||
do0-bhavana gayau dasakaMdhara ihA.N pisAchini bRRiMda|
sItahi trAsa dekhAvahi dharahiM rUpa bahu maMda||10||
–*–*–

trijaTA nAma rAchChasI ekA| rAma charana rati nipuna bibekA||
sabanhau boli sunAesi sapanA| sItahi sei karahu hita apanA||
sapaneM bAnara laMkA jArI| jAtudhAna senA saba mArI||
khara ArUढ़ nagana dasasIsA| muMDita sira khaMDita bhuja bIsA||
ehi bidhi so dachChina disi jAI| laMkA manahu.N bibhIShana pAI||
nagara phirI raghubIra dohAI| taba prabhu sItA boli paThAI||
yaha sapanA meM kahau.N pukArI| hoihi satya gae.N dina chArI||
tAsu bachana suni te saba DarIM| janakasutA ke charananhi parIM||
do0-jaha.N taha.N gaIM sakala taba sItA kara mana socha|
mAsa divasa bIteM mohi mArihi nisichara pocha||11||
–*–*–

trijaTA sana bolI kara jorI| mAtu bipati saMgini taiM morI||
tajauM deha karu begi upAI| dusahu birahu aba nahiM sahi jAI||
Ani kATha rachu chitA banAI| mAtu anala puni dehi lagAI||
satya karahi mama prIti sayAnI| sunai ko shravana sUla sama bAnI||
sunata bachana pada gahi samujhAesi| prabhu pratApa bala sujasu sunAesi||
nisi na anala mila sunu sukumArI| asa kahi so nija bhavana sidhArI||
kaha sItA bidhi bhA pratikUlA| milahi na pAvaka miTihi na sUlA||
dekhiata pragaTa gagana aMgArA| avani na Avata ekau tArA||
pAvakamaya sasi stravata na AgI| mAnahu.N mohi jAni hatabhAgI||
sunahi binaya mama biTapa asokA| satya nAma karu haru mama sokA||
nUtana kisalaya anala samAnA| dehi agini jani karahi nidAnA||
dekhi parama birahAkula sItA| so Chana kapihi kalapa sama bItA||
so0-kapi kari hRRidaya.N bichAra dInhi mudrikA DArI taba|
janu asoka aMgAra dInhi haraShi uThi kara gaheu||12||
taba dekhI mudrikA manohara| rAma nAma aMkita ati suMdara||
chakita chitava mudarI pahichAnI| haraSha biShAda hRRidaya.N akulAnI||
jIti ko sakai ajaya raghurAI| mAyA teM asi rachi nahiM jAI||
sItA mana bichAra kara nAnA| madhura bachana boleu hanumAnA||
rAmachaMdra guna baranaiM lAgA| sunatahiM sItA kara dukha bhAgA||
lAgIM sunaiM shravana mana lAI| Adihu teM saba kathA sunAI||
shravanAmRRita jehiM kathA suhAI| kahi so pragaTa hoti kina bhAI||
taba hanumaMta nikaTa chali gayaU| phiri baiMThIM mana bisamaya bhayaU||
rAma dUta maiM mAtu jAnakI| satya sapatha karunAnidhAna kI||
yaha mudrikA mAtu maiM AnI| dInhi rAma tumha kaha.N sahidAnI||
nara bAnarahi saMga kahu kaiseM| kahi kathA bhai saMgati jaiseM||
do0-kapi ke bachana saprema suni upajA mana bisvAsa||
jAnA mana krama bachana yaha kRRipAsiMdhu kara dAsa||13||
–*–*–

harijana jAni prIti ati gAढ़I| sajala nayana pulakAvali bAढ़I||
bUड़ta biraha jaladhi hanumAnA| bhayau tAta moM kahu.N jalajAnA||
aba kahu kusala jAu.N balihArI| anuja sahita sukha bhavana kharArI||
komalachita kRRipAla raghurAI| kapi kehi hetu dharI niThurAI||
sahaja bAni sevaka sukha dAyaka| kabahu.Nka surati karata raghunAyaka||
kabahu.N nayana mama sItala tAtA| hoihahi nirakhi syAma mRRidu gAtA||
bachanu na Ava nayana bhare bArI| ahaha nAtha hauM nipaTa bisArI||
dekhi parama birahAkula sItA| bolA kapi mRRidu bachana binItA||
mAtu kusala prabhu anuja sametA| tava dukha dukhI sukRRipA niketA||
jani jananI mAnahu jiya.N UnA| tumha te premu rAma keM dUnA||
do0-raghupati kara saMdesu aba sunu jananI dhari dhIra|
asa kahi kapi gada gada bhayau bhare bilochana nIra||14||
–*–*–

kaheu rAma biyoga tava sItA| mo kahu.N sakala bhae biparItA||
nava taru kisalaya manahu.N kRRisAnU| kAlanisA sama nisi sasi bhAnU||
kubalaya bipina kuMta bana sarisA| bArida tapata tela janu barisA||
je hita rahe karata tei pIrA| uraga svAsa sama tribidha samIrA||
kahehU teM kaChu dukha ghaTi hoI| kAhi kahauM yaha jAna na koI||
tatva prema kara mama aru torA| jAnata priyA eku manu morA||
so manu sadA rahata tohi pAhIM| jAnu prIti rasu etenahi mAhIM||
prabhu saMdesu sunata baidehI| magana prema tana sudhi nahiM tehI||
kaha kapi hRRidaya.N dhIra dharu mAtA| sumiru rAma sevaka sukhadAtA||
ura Anahu raghupati prabhutAI| suni mama bachana tajahu kadarAI||
do0-nisichara nikara pataMga sama raghupati bAna kRRisAnu|
jananI hRRidaya.N dhIra dharu jare nisAchara jAnu||15||
–*–*–

jauM raghubIra hoti sudhi pAI| karate nahiM bilaMbu raghurAI||
rAmabAna rabi ue.N jAnakI| tama barUtha kaha.N jAtudhAna kI||
abahiM mAtu maiM jAu.N lavAI| prabhu Ayasu nahiM rAma dohAI||
kaChuka divasa jananI dharu dhIrA| kapinha sahita aihahiM raghubIrA||
nisichara mAri tohi lai jaihahiM| tihu.N pura nAradAdi jasu gaihahiM||
haiM suta kapi saba tumhahi samAnA| jAtudhAna ati bhaTa balavAnA||
moreM hRRidaya parama saMdehA| suni kapi pragaTa kInha nija dehA||
kanaka bhUdharAkAra sarIrA| samara bhayaMkara atibala bIrA||
sItA mana bharosa taba bhayaU| puni laghu rUpa pavanasuta layaU||
do0-sunu mAtA sAkhAmRRiga nahiM bala buddhi bisAla|
prabhu pratApa teM garuड़hi khAi parama laghu byAla||16||
–*–*–

mana saMtoSha sunata kapi bAnI| bhagati pratApa teja bala sAnI||
AsiSha dInhi rAmapriya jAnA| hohu tAta bala sIla nidhAnA||
ajara amara gunanidhi suta hohU| karahu.N bahuta raghunAyaka ChohU||
karahu.N kRRipA prabhu asa suni kAnA| nirbhara prema magana hanumAnA||
bAra bAra nAesi pada sIsA| bolA bachana jori kara kIsA||
aba kRRitakRRitya bhayau.N maiM mAtA| AsiSha tava amogha bikhyAtA||
sunahu mAtu mohi atisaya bhUkhA| lAgi dekhi suMdara phala rUkhA||
sunu suta karahiM bipina rakhavArI| parama subhaTa rajanIchara bhArI||
tinha kara bhaya mAtA mohi nAhIM| jauM tumha sukha mAnahu mana mAhIM||
do0-dekhi buddhi bala nipuna kapi kaheu jAnakIM jAhu|
raghupati charana hRRidaya.N dhari tAta madhura phala khAhu||17||
–*–*–

chaleu nAi siru paiTheu bAgA| phala khAesi taru toraiM lAgA||
rahe tahA.N bahu bhaTa rakhavAre| kaChu mAresi kaChu jAi pukAre||
nAtha eka AvA kapi bhArI| tehiM asoka bATikA ujArI||
khAesi phala aru biTapa upAre| rachChaka mardi mardi mahi DAre||
suni rAvana paThae bhaTa nAnA| tinhahi dekhi garjeu hanumAnA||
saba rajanIchara kapi saMghAre| gae pukArata kaChu adhamAre||
puni paThayau tehiM achChakumArA| chalA saMga lai subhaTa apArA||
Avata dekhi biTapa gahi tarjA| tAhi nipAti mahAdhuni garjA||
do0-kaChu mAresi kaChu mardesi kaChu milaesi dhari dhUri|
kaChu puni jAi pukAre prabhu markaTa bala bhUri||18||
–*–*–

suni suta badha laMkesa risAnA| paThaesi meghanAda balavAnA||
mArasi jani suta bAMdhesu tAhI| dekhia kapihi kahA.N kara AhI||
chalA iMdrajita atulita jodhA| baMdhu nidhana suni upajA krodhA||
kapi dekhA dAruna bhaTa AvA| kaTakaTAi garjA aru dhAvA||
ati bisAla taru eka upArA| biratha kInha laMkesa kumArA||
rahe mahAbhaTa tAke saMgA| gahi gahi kapi mardai nija aMgA||
tinhahi nipAti tAhi sana bAjA| bhire jugala mAnahu.N gajarAjA|
muThikA mAri chaढ़A taru jAI| tAhi eka Chana muruChA AI||
uThi bahori kInhisi bahu mAyA| jIti na jAi prabhaMjana jAyA||
do0-brahma astra tehiM sA.NdhA kapi mana kInha bichAra|
jauM na brahmasara mAnau.N mahimA miTai apAra||19||
–*–*–

brahmabAna kapi kahu.N tehi mArA| paratihu.N bAra kaTaku saMghArA||
tehi dekhA kapi muruChita bhayaU| nAgapAsa bA.Ndhesi lai gayaU||
jAsu nAma japi sunahu bhavAnI| bhava baMdhana kATahiM nara gyAnI||
tAsu dUta ki baMdha taru AvA| prabhu kAraja lagi kapihiM ba.NdhAvA||
kapi baMdhana suni nisichara dhAe| kautuka lAgi sabhA.N saba Ae||
dasamukha sabhA dIkhi kapi jAI| kahi na jAi kaChu ati prabhutAI||
kara joreM sura disipa binItA| bhRRikuTi bilokata sakala sabhItA||
dekhi pratApa na kapi mana saMkA| jimi ahigana mahu.N garuड़ asaMkA||
do0-kapihi biloki dasAnana bihasA kahi durbAda|
suta badha surati kInhi puni upajA hRRidaya.N biShAda||20||
–*–*–

kaha laMkesa kavana taiM kIsA| kehiM ke bala ghAlehi bana khIsA||
kI dhauM shravana sunehi nahiM mohI| dekhau.N ati asaMka saTha tohI||
mAre nisichara kehiM aparAdhA| kahu saTha tohi na prAna kai bAdhA||
suna rAvana brahmAMDa nikAyA| pAi jAsu bala birachita mAyA||
jAkeM bala biraMchi hari IsA| pAlata sRRijata harata dasasIsA|
jA bala sIsa dharata sahasAnana| aMDakosa sameta giri kAnana||
dharai jo bibidha deha suratrAtA| tumha te saThanha sikhAvanu dAtA|
hara kodaMDa kaThina jehi bhaMjA| tehi sameta nRRipa dala mada gaMjA||
khara dUShana trisirA aru bAlI| badhe sakala atulita balasAlI||
do0-jAke bala lavalesa teM jitehu charAchara jhAri|
tAsu dUta maiM jA kari hari Anehu priya nAri||21||
–*–*–

jAnau.N maiM tumhari prabhutAI| sahasabAhu sana parI larAI||
samara bAli sana kari jasu pAvA| suni kapi bachana bihasi biharAvA||
khAyau.N phala prabhu lAgI bhU.NkhA| kapi subhAva teM toreu.N rUkhA||
saba keM deha parama priya svAmI| mArahiM mohi kumAraga gAmI||
jinha mohi mArA te maiM mAre| tehi para bA.Ndheu tanaya.N tumhAre||
mohi na kaChu bA.Ndhe kai lAjA| kInha chahau.N nija prabhu kara kAjA||
binatI karau.N jori kara rAvana| sunahu mAna taji mora sikhAvana||
dekhahu tumha nija kulahi bichArI| bhrama taji bhajahu bhagata bhaya hArI||
jAkeM Dara ati kAla DerAI| jo sura asura charAchara khAI||
tAsoM bayaru kabahu.N nahiM kIjai| more kaheM jAnakI dIjai||
do0-pranatapAla raghunAyaka karunA siMdhu kharAri|
gae.N sarana prabhu rAkhihaiM tava aparAdha bisAri||22||
–*–*–

rAma charana paMkaja ura dharahU| laMkA achala rAja tumha karahU||
riShi pulista jasu bimala maMyakA| tehi sasi mahu.N jani hohu kalaMkA||
rAma nAma binu girA na sohA| dekhu bichAri tyAgi mada mohA||
basana hIna nahiM soha surArI| saba bhUShaNa bhUShita bara nArI||
rAma bimukha saMpati prabhutAI| jAi rahI pAI binu pAI||
sajala mUla jinha saritanha nAhIM| baraShi gae puni tabahiM sukhAhIM||
sunu dasakaMTha kahau.N pana ropI| bimukha rAma trAtA nahiM kopI||
saMkara sahasa biShnu aja tohI| sakahiM na rAkhi rAma kara drohI||
do0-mohamUla bahu sUla prada tyAgahu tama abhimAna|
bhajahu rAma raghunAyaka kRRipA siMdhu bhagavAna||23||
–*–*–

jadapi kahi kapi ati hita bAnI| bhagati bibeka birati naya sAnI||
bolA bihasi mahA abhimAnI| milA hamahi kapi gura baड़ gyAnI||
mRRityu nikaTa AI khala tohI| lAgesi adhama sikhAvana mohI||
ulaTA hoihi kaha hanumAnA| matibhrama tora pragaTa maiM jAnA||
suni kapi bachana bahuta khisiAnA| begi na harahu.N mUढ़ kara prAnA||
sunata nisAchara mArana dhAe| sachivanha sahita bibhIShanu Ae|
nAi sIsa kari binaya bahUtA| nIti birodha na mAria dUtA||
Ana daMDa kaChu karia gosA.NI| sabahIM kahA maMtra bhala bhAI||
sunata bihasi bolA dasakaMdhara| aMga bhaMga kari paThaia baMdara||
do-kapi keM mamatA pU.NCha para sabahi kahau.N samujhAi|
tela bori paTa bA.Ndhi puni pAvaka dehu lagAi||24||
–*–*–

pU.NChahIna bAnara taha.N jAihi| taba saTha nija nAthahi lai Aihi||
jinha kai kInhasi bahuta baड़AI| dekheu.NûmaiM tinha kai prabhutAI||
bachana sunata kapi mana musukAnA| bhai sahAya sArada maiM jAnA||
jAtudhAna suni rAvana bachanA| lAge rachaiM mUढ़ soi rachanA||
rahA na nagara basana ghRRita telA| bAढ़I pU.NCha kInha kapi khelA||
kautuka kaha.N Ae purabAsI| mArahiM charana karahiM bahu hA.NsI||
bAjahiM Dhola dehiM saba tArI| nagara pheri puni pU.NCha prajArI||
pAvaka jarata dekhi hanumaMtA| bhayau parama laghu rupa turaMtA||
nibuki chaढ़eu kapi kanaka aTArIM| bhaI sabhIta nisAchara nArIM||
do0-hari prerita tehi avasara chale maruta unachAsa|
aTTahAsa kari garjaéA kapi baढ़i lAga akAsa||25||
–*–*–

deha bisAla parama haruAI| maMdira teM maMdira chaढ़ dhAI||
jarai nagara bhA loga bihAlA| jhapaTa lapaTa bahu koTi karAlA||
tAta mAtu hA sunia pukArA| ehi avasara ko hamahi ubArA||
hama jo kahA yaha kapi nahiM hoI| bAnara rUpa dhareM sura koI||
sAdhu avagyA kara phalu aisA| jarai nagara anAtha kara jaisA||
jArA nagaru nimiSha eka mAhIM| eka bibhIShana kara gRRiha nAhIM||
tA kara dUta anala jehiM sirijA| jarA na so tehi kArana girijA||
ulaTi palaTi laMkA saba jArI| kUdi parA puni siMdhu majhArI||
do0-pU.NCha bujhAi khoi shrama dhari laghu rUpa bahori|
janakasutA ke AgeM ThAढ़ bhayau kara jori||26||
–*–*–

mAtu mohi dIje kaChu chInhA| jaiseM raghunAyaka mohi dInhA||
chUड़Amani utAri taba dayaU| haraSha sameta pavanasuta layaU||
kahehu tAta asa mora pranAmA| saba prakAra prabhu pUranakAmA||
dIna dayAla biridu saMbhArI| harahu nAtha mama saMkaTa bhArI||
tAta sakrasuta kathA sunAehu| bAna pratApa prabhuhi samujhAehu||
mAsa divasa mahu.N nAthu na AvA| tau puni mohi jiata nahiM pAvA||
kahu kapi kehi bidhi rAkhauM prAnA| tumhahU tAta kahata aba jAnA||
tohi dekhi sItali bhai ChAtI| puni mo kahu.N soi dinu so rAtI||
do0-janakasutahi samujhAi kari bahu bidhi dhIraju dInha|
charana kamala siru nAi kapi gavanu rAma pahiM kInha||27||
–*–*–

chalata mahAdhuni garjesi bhArI| garbha stravahiM suni nisichara nArI||
nAghi siMdhu ehi pArahi AvA| sabada kilakilA kapinha sunAvA||
haraShe saba biloki hanumAnA| nUtana janma kapinha taba jAnA||
mukha prasanna tana teja birAjA| kInhesi rAmachandra kara kAjA||
mile sakala ati bhae sukhArI| talaphata mIna pAva jimi bArI||
chale haraShi raghunAyaka pAsA| pU.NChata kahata navala itihAsA||
taba madhubana bhItara saba Ae| aMgada saMmata madhu phala khAe||
rakhavAre jaba barajana lAge| muShTi prahAra hanata saba bhAge||
do0-jAi pukAre te saba bana ujAra jubarAja|
suni sugrIva haraSha kapi kari Ae prabhu kAja||28||
–*–*–

jauM na hoti sItA sudhi pAI| madhubana ke phala sakahiM ki khAI||
ehi bidhi mana bichAra kara rAjA| Ai gae kapi sahita samAjA||
Ai sabanhi nAvA pada sIsA| mileu sabanhi ati prema kapIsA||
pU.NChI kusala kusala pada dekhI| rAma kRRipA.N bhA kAju biseShI||
nAtha kAju kInheu hanumAnA| rAkhe sakala kapinha ke prAnA||
suni sugrIva bahuri tehi mileU| kapinha sahita raghupati pahiM chaleU|
rAma kapinha jaba Avata dekhA| kie.N kAju mana haraSha biseShA||
phaTika silA baiThe dvau bhAI| pare sakala kapi charananhi jAI||
do0-prIti sahita saba bheTe raghupati karunA puMja|
pU.NChI kusala nAtha aba kusala dekhi pada kaMja||29||
–*–*–

jAmavaMta kaha sunu raghurAyA| jA para nAtha karahu tumha dAyA||
tAhi sadA subha kusala niraMtara| sura nara muni prasanna tA Upara||
soi bijaI binaI guna sAgara| tAsu sujasu treloka ujAgara||
prabhu kIM kRRipA bhayau sabu kAjU| janma hamAra suphala bhA AjU||
nAtha pavanasuta kInhi jo karanI| sahasahu.N mukha na jAi so baranI||
pavanatanaya ke charita suhAe| jAmavaMta raghupatihi sunAe||
sunata kRRipAnidhi mana ati bhAe| puni hanumAna haraShi hiya.N lAe||
kahahu tAta kehi bhA.Nti jAnakI| rahati karati rachChA svaprAna kI||
do0-nAma pAharu divasa nisi dhyAna tumhAra kapATa|
lochana nija pada jaMtrita jAhiM prAna kehiM bATa||30||
–*–*–

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chalata mohi chUड़Amani dInhI| raghupati hRRidaya.N lAi soi lInhI||
nAtha jugala lochana bhari bArI| bachana kahe kaChu janakakumArI||
anuja sameta gahehu prabhu charanA| dIna baMdhu pranatArati haranA||
mana krama bachana charana anurAgI| kehi aparAdha nAtha hauM tyAgI||
avaguna eka mora maiM mAnA| biChurata prAna na kInha payAnA||
nAtha so nayananhi ko aparAdhA| nisarata prAna karihiM haThi bAdhA||
biraha agini tanu tUla samIrA| svAsa jarai Chana mAhiM sarIrA||
nayana stravahi jalu nija hita lAgI| jaraiM na pAva deha birahAgI|
sItA ke ati bipati bisAlA| binahiM kaheM bhali dInadayAlA||
do0-nimiSha nimiSha karunAnidhi jAhiM kalapa sama bIti|
begi chaliya prabhu Ania bhuja bala khala dala jIti||31||
–*–*–

suni sItA dukha prabhu sukha ayanA| bhari Ae jala rAjiva nayanA||
bachana kA.Nya mana mama gati jAhI| sapanehu.N bUjhia bipati ki tAhI||
kaha hanumaMta bipati prabhu soI| jaba tava sumirana bhajana na hoI||
ketika bAta prabhu jAtudhAna kI| ripuhi jIti AnibI jAnakI||
sunu kapi tohi samAna upakArI| nahiM kou sura nara muni tanudhArI||
prati upakAra karauM kA torA| sanamukha hoi na sakata mana morA||
sunu suta urina maiM nAhIM| dekheu.N kari bichAra mana mAhIM||
puni puni kapihi chitava suratrAtA| lochana nIra pulaka ati gAtA||
do0-suni prabhu bachana biloki mukha gAta haraShi hanumaMta|
charana pareu premAkula trAhi trAhi bhagavaMta||32||
–*–*–

bAra bAra prabhu chahai uThAvA| prema magana tehi uThaba na bhAvA||
prabhu kara paMkaja kapi keM sIsA| sumiri so dasA magana gaurIsA||
sAvadhAna mana kari puni saMkara| lAge kahana kathA ati suMdara||
kapi uThAi prabhu hRRidaya.N lagAvA| kara gahi parama nikaTa baiThAvA||
kahu kapi rAvana pAlita laMkA| kehi bidhi daheu durga ati baMkA||
prabhu prasanna jAnA hanumAnA| bolA bachana bigata abhimAnA||
sAkhAmRRiga ke baड़i manusAI| sAkhA teM sAkhA para jAI||
nAghi siMdhu hATakapura jArA| nisichara gana bidhi bipina ujArA|
so saba tava pratApa raghurAI| nAtha na kaChU mori prabhutAI||
do0- tA kahu.N prabhu kaChu agama nahiM jA para tumha anukula|
taba prabhAva.N baड़vAnalahiM jAri sakai khalu tUla||33||
–*–*–

nAtha bhagati ati sukhadAyanI| dehu kRRipA kari anapAyanI||
suni prabhu parama sarala kapi bAnI| evamastu taba kaheu bhavAnI||
umA rAma subhAu jehiM jAnA| tAhi bhajanu taji bhAva na AnA||
yaha saMvAda jAsu ura AvA| raghupati charana bhagati soi pAvA||
suni prabhu bachana kahahiM kapibRRiMdA| jaya jaya jaya kRRipAla sukhakaMdA||
taba raghupati kapipatihi bolAvA| kahA chalaiM kara karahu banAvA||
aba bilaMbu kehi kArana kIje| turata kapinha kahu.N Ayasu dIje||
kautuka dekhi sumana bahu baraShI| nabha teM bhavana chale sura haraShI||
do0-kapipati begi bolAe Ae jUthapa jUtha|
nAnA barana atula bala bAnara bhAlu barUtha||34||
–*–*–

prabhu pada paMkaja nAvahiM sIsA| garajahiM bhAlu mahAbala kIsA||
dekhI rAma sakala kapi senA| chitai kRRipA kari rAjiva nainA||
rAma kRRipA bala pAi kapiMdA| bhae pachChajuta manahu.N giriMdA||
haraShi rAma taba kInha payAnA| saguna bhae suMdara subha nAnA||
jAsu sakala maMgalamaya kItI| tAsu payAna saguna yaha nItI||
prabhu payAna jAnA baidehIM| pharaki bAma a.Nga janu kahi dehIM||
joi joi saguna jAnakihi hoI| asaguna bhayau rAvanahi soI||
chalA kaTaku ko baranaiM pArA| garjahi bAnara bhAlu apArA||
nakha Ayudha giri pAdapadhArI| chale gagana mahi ichChAchArI||
keharinAda bhAlu kapi karahIM| DagamagAhiM diggaja chikkarahIM||
ChaM0-chikkarahiM diggaja Dola mahi giri lola sAgara kharabhare|
mana haraSha sabha gaMdharba sura muni nAga kinnara dukha Tare||
kaTakaTahiM markaTa bikaTa bhaTa bahu koTi koTinha dhAvahIM|
jaya rAma prabala pratApa kosalanAtha guna gana gAvahIM||1||
sahi saka na bhAra udAra ahipati bAra bArahiM mohaI|
gaha dasana puni puni kamaTha pRRiShTa kaThora so kimi sohaI||
raghubIra ruchira prayAna prasthiti jAni parama suhAvanI|
janu kamaTha kharpara sarparAja so likhata abichala pAvanI||2||
do0-ehi bidhi jAi kRRipAnidhi utare sAgara tIra|
jaha.N taha.N lAge khAna phala bhAlu bipula kapi bIra||35||
–*–*–

uhA.N nisAchara rahahiM sasaMkA| jaba te jAri gayau kapi laMkA||
nija nija gRRiha.N saba karahiM bichArA| nahiM nisichara kula kera ubArA||
jAsu dUta bala barani na jAI| tehi Ae.N pura kavana bhalAI||
dUtanhi sana suni purajana bAnI| maMdodarI adhika akulAnI||
rahasi jori kara pati paga lAgI| bolI bachana nIti rasa pAgI||
kaMta karaSha hari sana pariharahU| mora kahA ati hita hiya.N dharahu||
samujhata jAsu dUta kai karanI| stravahIM garbha rajanIchara dharanI||
tAsu nAri nija sachiva bolAI| paThavahu kaMta jo chahahu bhalAI||
taba kula kamala bipina dukhadAI| sItA sIta nisA sama AI||
sunahu nAtha sItA binu dInheM| hita na tumhAra saMbhu aja kInheM||
do0–rAma bAna ahi gana sarisa nikara nisAchara bheka|
jaba lagi grasata na taba lagi jatanu karahu taji Teka||36||
–*–*–

shravana sunI saTha tA kari bAnI| bihasA jagata bidita abhimAnI||
sabhaya subhAu nAri kara sAchA| maMgala mahu.N bhaya mana ati kAchA||
jauM Avai markaTa kaTakAI| jiahiM bichAre nisichara khAI||
kaMpahiM lokapa jAkI trAsA| tAsu nAri sabhIta baड़i hAsA||
asa kahi bihasi tAhi ura lAI| chaleu sabhA.N mamatA adhikAI||
maMdodarI hRRidaya.N kara chiMtA| bhayau kaMta para bidhi biparItA||
baiTheu sabhA.N khabari asi pAI| siMdhu pAra senA saba AI||
bUjhesi sachiva uchita mata kahahU| te saba ha.Nse maShTa kari rahahU||
jitehu surAsura taba shrama nAhIM| nara bAnara kehi lekhe mAhI||
do0-sachiva baida gura tIni jauM priya bolahiM bhaya Asa|
rAja dharma tana tIni kara hoi begihIM nAsa||37||
–*–*–

soi rAvana kahu.N bani sahAI| astuti karahiM sunAi sunAI||
avasara jAni bibhIShanu AvA| bhrAtA charana sIsu tehiM nAvA||
puni siru nAi baiTha nija Asana| bolA bachana pAi anusAsana||
jau kRRipAla pU.NChihu mohi bAtA| mati anurupa kahau.N hita tAtA||
jo Apana chAhai kalyAnA| sujasu sumati subha gati sukha nAnA||
so paranAri lilAra gosAIM| tajau chauthi ke chaMda ki nAI||
chaudaha bhuvana eka pati hoI| bhUtadroha tiShTai nahiM soI||
guna sAgara nAgara nara joU| alapa lobha bhala kahai na koU||
do0- kAma krodha mada lobha saba nAtha naraka ke paMtha|
saba parihari raghubIrahi bhajahu bhajahiM jehi saMta||38||
–*–*–

tAta rAma nahiM nara bhUpAlA| bhuvanesvara kAlahu kara kAlA||
brahma anAmaya aja bhagavaMtA| byApaka ajita anAdi anaMtA||
go dvija dhenu deva hitakArI| kRRipAsiMdhu mAnuSha tanudhArI||
jana raMjana bhaMjana khala brAtA| beda dharma rachChaka sunu bhrAtA||
tAhi bayaru taji nAia mAthA| pranatArati bhaMjana raghunAthA||
dehu nAtha prabhu kahu.N baidehI| bhajahu rAma binu hetu sanehI||
sarana gae.N prabhu tAhu na tyAgA| bisva droha kRRita agha jehi lAgA||
jAsu nAma traya tApa nasAvana| soi prabhu pragaTa samujhu jiya.N rAvana||
do0-bAra bAra pada lAgau.N binaya karau.N dasasIsa|
parihari mAna moha mada bhajahu kosalAdhIsa||39(ka)||
muni pulasti nija siShya sana kahi paThaI yaha bAta|
turata so maiM prabhu sana kahI pAi suavasaru tAta||39(kha)||
–*–*–

mAlyavaMta ati sachiva sayAnA| tAsu bachana suni ati sukha mAnA||
tAta anuja tava nIti bibhUShana| so ura dharahu jo kahata bibhIShana||
ripu utakaraSha kahata saTha doU| dUri na karahu ihA.N hai koU||
mAlyavaMta gRRiha gayau bahorI| kahai bibhIShanu puni kara jorI||
sumati kumati saba keM ura rahahIM| nAtha purAna nigama asa kahahIM||
jahA.N sumati taha.N saMpati nAnA| jahA.N kumati taha.N bipati nidAnA||
tava ura kumati basI biparItA| hita anahita mAnahu ripu prItA||
kAlarAti nisichara kula kerI| tehi sItA para prIti ghanerI||
do0-tAta charana gahi mAgau.N rAkhahu mora dulAra|
sIta dehu rAma kahu.N ahita na hoi tumhAra||40||
–*–*–

budha purAna shruti saMmata bAnI| kahI bibhIShana nIti bakhAnI||
sunata dasAnana uThA risAI| khala tohi nikaTa mutyu aba AI||
jiasi sadA saTha mora jiAvA| ripu kara pachCha mUढ़ tohi bhAvA||
kahasi na khala asa ko jaga mAhIM| bhuja bala jAhi jitA maiM nAhI||
mama pura basi tapasinha para prItI| saTha milu jAi tinhahi kahu nItI||
asa kahi kInhesi charana prahArA| anuja gahe pada bArahiM bArA||
umA saMta kai ihai baड़AI| maMda karata jo karai bhalAI||
tumha pitu sarisa bhalehiM mohi mArA| rAmu bhajeM hita nAtha tumhArA||
sachiva saMga lai nabha patha gayaU| sabahi sunAi kahata asa bhayaU||
do0=rAmu satyasaMkalpa prabhu sabhA kAlabasa tori|
mai raghubIra sarana aba jAu.N dehu jani khori||41||
–*–*–

asa kahi chalA bibhIShanu jabahIM| AyUhIna bhae saba tabahIM||
sAdhu avagyA turata bhavAnI| kara kalyAna akhila kai hAnI||
rAvana jabahiM bibhIShana tyAgA| bhayau bibhava binu tabahiM abhAgA||
chaleu haraShi raghunAyaka pAhIM| karata manoratha bahu mana mAhIM||
dekhihau.N jAi charana jalajAtA| aruna mRRidula sevaka sukhadAtA||
je pada parasi tarI riShinArI| daMDaka kAnana pAvanakArI||
je pada janakasutA.N ura lAe| kapaTa kuraMga saMga dhara dhAe||
hara ura sara saroja pada jeI| ahobhAgya mai dekhihau.N teI||
do0= jinha pAyanha ke pAdukanhi bharatu rahe mana lAi|
te pada Aju bilokihau.N inha nayananhi aba jAi||42||
–*–*–

ehi bidhi karata saprema bichArA| Ayau sapadi siMdhu ehiM pArA||
kapinha bibhIShanu Avata dekhA| jAnA kou ripu dUta biseShA||
tAhi rAkhi kapIsa pahiM Ae| samAchAra saba tAhi sunAe||
kaha sugrIva sunahu raghurAI| AvA milana dasAnana bhAI||
kaha prabhu sakhA bUjhiai kAhA| kahai kapIsa sunahu naranAhA||
jAni na jAi nisAchara mAyA| kAmarUpa kehi kArana AyA||
bheda hamAra lena saTha AvA| rAkhia bA.Ndhi mohi asa bhAvA||
sakhA nIti tumha nIki bichArI| mama pana saranAgata bhayahArI||
suni prabhu bachana haraSha hanumAnA| saranAgata bachChala bhagavAnA||
do0=saranAgata kahu.N je tajahiM nija anahita anumAni|
te nara pAva.Nra pApamaya tinhahi bilokata hAni||43||
–*–*–

koTi bipra badha lAgahiM jAhU| Ae.N sarana tajau.N nahiM tAhU||
sanamukha hoi jIva mohi jabahIM| janma koTi agha nAsahiM tabahIM||
pApavaMta kara sahaja subhAU| bhajanu mora tehi bhAva na kAU||
jauM pai duShTahadaya soi hoI| moreM sanamukha Ava ki soI||
nirmala mana jana so mohi pAvA| mohi kapaTa Chala Chidra na bhAvA||
bheda lena paThavA dasasIsA| tabahu.N na kaChu bhaya hAni kapIsA||
jaga mahu.N sakhA nisAchara jete| laChimanu hanai nimiSha mahu.N tete||
jauM sabhIta AvA saranAI| rakhihau.N tAhi prAna kI nAI||
do0=ubhaya bhA.Nti tehi Anahu ha.Nsi kaha kRRipAniketa|
jaya kRRipAla kahi chale aMgada hanU sameta||44||
–*–*–

sAdara tehi AgeM kari bAnara| chale jahA.N raghupati karunAkara||
dUrihi te dekhe dvau bhrAtA| nayanAnaMda dAna ke dAtA||
bahuri rAma ChabidhAma bilokI| raheu ThaTuki ekaTaka pala rokI||
bhuja pralaMba kaMjAruna lochana| syAmala gAta pranata bhaya mochana||
siMgha kaMdha Ayata ura sohA| Anana amita madana mana mohA||
nayana nIra pulakita ati gAtA| mana dhari dhIra kahI mRRidu bAtA||
nAtha dasAnana kara maiM bhrAtA| nisichara baMsa janama suratrAtA||
sahaja pApapriya tAmasa dehA| jathA ulUkahi tama para nehA||
do0-shravana sujasu suni Ayau.N prabhu bhaMjana bhava bhIra|
trAhi trAhi Arati harana sarana sukhada raghubIra||45||
–*–*–

asa kahi karata daMDavata dekhA| turata uThe prabhu haraSha biseShA||
dIna bachana suni prabhu mana bhAvA| bhuja bisAla gahi hRRidaya.N lagAvA||
anuja sahita mili Dhiga baiThArI| bole bachana bhagata bhayahArI||
kahu laMkesa sahita parivArA| kusala kuThAhara bAsa tumhArA||
khala maMDalIM basahu dinu rAtI| sakhA dharama nibahai kehi bhA.NtI||
maiM jAnau.N tumhAri saba rItI| ati naya nipuna na bhAva anItI||
baru bhala bAsa naraka kara tAtA| duShTa saMga jani dei bidhAtA||
aba pada dekhi kusala raghurAyA| jauM tumha kInha jAni jana dAyA||
do0-taba lagi kusala na jIva kahu.N sapanehu.N mana bishrAma|
jaba lagi bhajata na rAma kahu.N soka dhAma taji kAma||46||
–*–*–

taba lagi hRRidaya.N basata khala nAnA| lobha moha machChara mada mAnA||
jaba lagi ura na basata raghunAthA| dhareM chApa sAyaka kaTi bhAthA||
mamatA taruna tamI a.NdhiArI| rAga dveSha ulUka sukhakArI||
taba lagi basati jIva mana mAhIM| jaba lagi prabhu pratApa rabi nAhIM||
aba maiM kusala miTe bhaya bhAre| dekhi rAma pada kamala tumhAre||
tumha kRRipAla jA para anukUlA| tAhi na byApa tribidha bhava sUlA||
maiM nisichara ati adhama subhAU| subha Acharanu kInha nahiM kAU||
jAsu rUpa muni dhyAna na AvA| tehiM prabhu haraShi hRRidaya.N mohi lAvA||
do0–ahobhAgya mama amita ati rAma kRRipA sukha puMja|
dekheu.N nayana biraMchi siba sebya jugala pada kaMja||47||
–*–*–

sunahu sakhA nija kahau.N subhAU| jAna bhusuMDi saMbhu girijAU||
jauM nara hoi charAchara drohI| Ave sabhaya sarana taki mohI||
taji mada moha kapaTa Chala nAnA| karau.N sadya tehi sAdhu samAnA||
jananI janaka baMdhu suta dArA| tanu dhanu bhavana suhrada parivArA||
saba kai mamatA tAga baTorI| mama pada manahi bA.Ndha bari DorI||
samadarasI ichChA kaChu nAhIM| haraSha soka bhaya nahiM mana mAhIM||
asa sajjana mama ura basa kaiseM| lobhI hRRidaya.N basai dhanu jaiseM||
tumha sArikhe saMta priya moreM| dharau.N deha nahiM Ana nihoreM||
do0- saguna upAsaka parahita nirata nIti dRRiढ़ nema|
te nara prAna samAna mama jinha keM dvija pada prema||48||
–*–*–

sunu laMkesa sakala guna toreM| tAteM tumha atisaya priya moreM||
rAma bachana suni bAnara jUthA| sakala kahahiM jaya kRRipA barUthA||
sunata bibhIShanu prabhu kai bAnI| nahiM aghAta shravanAmRRita jAnI||
pada aMbuja gahi bArahiM bArA| hRRidaya.N samAta na premu apArA||
sunahu deva sacharAchara svAmI| pranatapAla ura aMtarajAmI||
ura kaChu prathama bAsanA rahI| prabhu pada prIti sarita so bahI||
aba kRRipAla nija bhagati pAvanI| dehu sadA siva mana bhAvanI||
evamastu kahi prabhu ranadhIrA| mAgA turata siMdhu kara nIrA||
jadapi sakhA tava ichChA nAhIM| mora darasu amogha jaga mAhIM||
asa kahi rAma tilaka tehi sArA| sumana bRRiShTi nabha bhaI apArA||
do0-rAvana krodha anala nija svAsa samIra prachaMDa|
jarata bibhIShanu rAkheu dInhehu rAju akhaMDa||49(ka)||
jo saMpati siva rAvanahi dInhi die.N dasa mAtha|
soi saMpadA bibhIShanahi sakuchi dInha raghunAtha||49(kha)||
–*–*–

asa prabhu ChAड़i bhajahiM je AnA| te nara pasu binu pU.NCha biShAnA||
nija jana jAni tAhi apanAvA| prabhu subhAva kapi kula mana bhAvA||
puni sarbagya sarba ura bAsI| sarbarUpa saba rahita udAsI||
bole bachana nIti pratipAlaka| kArana manuja danuja kula ghAlaka||
sunu kapIsa laMkApati bIrA| kehi bidhi taria jaladhi gaMbhIrA||
saMkula makara uraga jhaSha jAtI| ati agAdha dustara saba bhA.NtI||
kaha laMkesa sunahu raghunAyaka| koTi siMdhu soShaka tava sAyaka||
jadyapi tadapi nIti asi gAI| binaya karia sAgara sana jAI||
do0-prabhu tumhAra kulagura jaladhi kahihi upAya bichAri|
binu prayAsa sAgara tarihi sakala bhAlu kapi dhAri||50||
–*–*–

sakhA kahI tumha nIki upAI| karia daiva jauM hoi sahAI||
maMtra na yaha laChimana mana bhAvA| rAma bachana suni ati dukha pAvA||
nAtha daiva kara kavana bharosA| soShia siMdhu karia mana rosA||
kAdara mana kahu.N eka adhArA| daiva daiva AlasI pukArA||
sunata bihasi bole raghubIrA| aisehiM karaba dharahu mana dhIrA||
asa kahi prabhu anujahi samujhAI| siMdhu samIpa gae raghurAI||
prathama pranAma kInha siru nAI| baiThe puni taTa darbha DasAI||
jabahiM bibhIShana prabhu pahiM Ae| pACheM rAvana dUta paThAe||
do0-sakala charita tinha dekhe dhareM kapaTa kapi deha|
prabhu guna hRRidaya.N sarAhahiM saranAgata para neha||51||
–*–*–

pragaTa bakhAnahiM rAma subhAU| ati saprema gA bisari durAU||
ripu ke dUta kapinha taba jAne| sakala bA.Ndhi kapIsa pahiM Ane||
kaha sugrIva sunahu saba bAnara| aMga bhaMga kari paThavahu nisichara||
suni sugrIva bachana kapi dhAe| bA.Ndhi kaTaka chahu pAsa phirAe||
bahu prakAra mArana kapi lAge| dIna pukArata tadapi na tyAge||
jo hamAra hara nAsA kAnA| tehi kosalAdhIsa kai AnA||
suni laChimana saba nikaTa bolAe| dayA lAgi ha.Nsi turata ChoDAe||
rAvana kara dIjahu yaha pAtI| laChimana bachana bAchu kulaghAtI||
do0-kahehu mukhAgara mUढ़ sana mama saMdesu udAra|
sItA dei milehu na ta AvA kAla tumhAra||52||
–*–*–

turata nAi laChimana pada mAthA| chale dUta baranata guna gAthA||
kahata rAma jasu laMkA.N Ae| rAvana charana sIsa tinha nAe||
bihasi dasAnana pU.NChI bAtA| kahasi na suka Apani kusalAtA||
puni kahu khabari bibhIShana kerI| jAhi mRRityu AI ati nerI||
karata rAja laMkA saTha tyAgI| hoihi jaba kara kITa abhAgI||
puni kahu bhAlu kIsa kaTakAI| kaThina kAla prerita chali AI||
jinha ke jIvana kara rakhavArA| bhayau mRRidula chita siMdhu bichArA||
kahu tapasinha kai bAta bahorI| jinha ke hRRidaya.N trAsa ati morI||
do0–kI bhai bheMTa ki phiri gae shravana sujasu suni mora|
kahasi na ripu dala teja bala bahuta chakita chita tora||53||
–*–*–

nAtha kRRipA kari pU.NChehu jaiseM| mAnahu kahA krodha taji taiseM||
milA jAi jaba anuja tumhArA| jAtahiM rAma tilaka tehi sArA||
rAvana dUta hamahi suni kAnA| kapinha bA.Ndhi dInhe dukha nAnA||
shravana nAsikA kATai lAge| rAma sapatha dInhe hama tyAge||
pU.NChihu nAtha rAma kaTakAI| badana koTi sata barani na jAI||
nAnA barana bhAlu kapi dhArI| bikaTAnana bisAla bhayakArI||
jehiM pura daheu hateu suta torA| sakala kapinha maha.N tehi balu thorA||
amita nAma bhaTa kaThina karAlA| amita nAga bala bipula bisAlA||
do0-dvibida mayaMda nIla nala aMgada gada bikaTAsi|
dadhimukha kehari nisaTha saTha jAmavaMta balarAsi||54||
–*–*–

e kapi saba sugrIva samAnA| inha sama koTinha ganai ko nAnA||
rAma kRRipA.N atulita bala tinhahIM| tRRina samAna trelokahi ganahIM||
asa maiM sunA shravana dasakaMdhara| paduma aThAraha jUthapa baMdara||
nAtha kaTaka maha.N so kapi nAhIM| jo na tumhahi jItai rana mAhIM||
parama krodha mIjahiM saba hAthA| Ayasu pai na dehiM raghunAthA||
soShahiM siMdhu sahita jhaSha byAlA| pUrahIM na ta bhari kudhara bisAlA||
mardi garda milavahiM dasasIsA| aisei bachana kahahiM saba kIsA||
garjahiM tarjahiM sahaja asaMkA| mAnahu grasana chahata hahiM laMkA||
do0–sahaja sUra kapi bhAlu saba puni sira para prabhu rAma|
rAvana kAla koTi kahu jIti sakahiM saMgrAma||55||
–*–*–

rAma teja bala budhi bipulAI| seSha sahasa sata sakahiM na gAI||
saka sara eka soShi sata sAgara| tava bhrAtahi pU.NCheu naya nAgara||
tAsu bachana suni sAgara pAhIM| mAgata paMtha kRRipA mana mAhIM||
sunata bachana bihasA dasasIsA| jauM asi mati sahAya kRRita kIsA||
sahaja bhIru kara bachana dRRiढ़AI| sAgara sana ThAnI machalAI||
mUढ़ mRRiShA kA karasi baड़AI| ripu bala buddhi thAha maiM pAI||
sachiva sabhIta bibhIShana jAkeM| bijaya bibhUti kahA.N jaga tAkeM||
suni khala bachana dUta risa bAढ़I| samaya bichAri patrikA kAढ़I||
rAmAnuja dInhI yaha pAtI| nAtha bachAi juड़Avahu ChAtI||
bihasi bAma kara lInhI rAvana| sachiva boli saTha lAga bachAvana||
do0–bAtanha manahi rijhAi saTha jani ghAlasi kula khIsa|
rAma birodha na ubarasi sarana biShnu aja Isa||56(ka)||
kI taji mAna anuja iva prabhu pada paMkaja bhRRiMga|
hohi ki rAma sarAnala khala kula sahita pataMga||56(kha)||
–*–*–

sunata sabhaya mana mukha musukAI| kahata dasAnana sabahi sunAI||
bhUmi parA kara gahata akAsA| laghu tApasa kara bAga bilAsA||
kaha suka nAtha satya saba bAnI| samujhahu ChAड़i prakRRiti abhimAnI||
sunahu bachana mama parihari krodhA| nAtha rAma sana tajahu birodhA||
ati komala raghubIra subhAU| jadyapi akhila loka kara rAU||
milata kRRipA tumha para prabhu karihI| ura aparAdha na ekau dharihI||
janakasutA raghunAthahi dIje| etanA kahA mora prabhu kIje|
jaba tehiM kahA dena baidehI| charana prahAra kInha saTha tehI||
nAi charana siru chalA so tahA.N| kRRipAsiMdhu raghunAyaka jahA.N||
kari pranAmu nija kathA sunAI| rAma kRRipA.N Apani gati pAI||
riShi agasti kIM sApa bhavAnI| rAChasa bhayau rahA muni gyAnI||
baMdi rAma pada bArahiM bArA| muni nija Ashrama kahu.N pagu dhArA||
do0-binaya na mAnata jaladhi jaड़ gae tIna dina bIti|
bole rAma sakopa taba bhaya binu hoi na prIti||57||
–*–*–

laChimana bAna sarAsana AnU| soShauM bAridhi bisikha kRRisAnU||
saTha sana binaya kuTila sana prItI| sahaja kRRipana sana suMdara nItI||
mamatA rata sana gyAna kahAnI| ati lobhI sana birati bakhAnI||
krodhihi sama kAmihi hari kathA| Usara bIja bae.N phala jathA||
asa kahi raghupati chApa chaढ़AvA| yaha mata laChimana ke mana bhAvA||
saMghAneu prabhu bisikha karAlA| uThI udadhi ura aMtara jvAlA||
makara uraga jhaSha gana akulAne| jarata jaMtu jalanidhi jaba jAne||
kanaka thAra bhari mani gana nAnA| bipra rUpa Ayau taji mAnA||
do0-kATehiM pai kadarI pharai koTi jatana kou sIMcha|
binaya na mAna khagesa sunu DATehiM pai nava nIcha||58||
–*–*–

sabhaya siMdhu gahi pada prabhu kere| Chamahu nAtha saba avaguna mere||
gagana samIra anala jala dharanI| inha kai nAtha sahaja jaड़ karanI||
tava prerita mAyA.N upajAe| sRRiShTi hetu saba graMthani gAe||
prabhu Ayasu jehi kaha.N jasa ahaI| so tehi bhA.Nti rahe sukha lahaI||
prabhu bhala kInhI mohi sikha dInhI| marajAdA puni tumharI kInhI||
Dhola gavA.Nra sUdra pasu nArI| sakala tAड़nA ke adhikArI||
prabhu pratApa maiM jAba sukhAI| utarihi kaTaku na mori baड़AI||
prabhu agyA apela shruti gAI| karauM so begi jau tumhahi sohAI||
do0-sunata binIta bachana ati kaha kRRipAla musukAi|
jehi bidhi utarai kapi kaTaku tAta so kahahu upAi||59||
–*–*–

nAtha nIla nala kapi dvau bhAI| larikAI riShi AsiSha pAI||
tinha ke parasa kie.N giri bhAre| tarihahiM jaladhi pratApa tumhAre||
maiM puni ura dhari prabhutAI| karihau.N bala anumAna sahAI||
ehi bidhi nAtha payodhi ba.NdhAia| jehiM yaha sujasu loka tihu.N gAia||
ehi sara mama uttara taTa bAsI| hatahu nAtha khala nara agha rAsI||
suni kRRipAla sAgara mana pIrA| turatahiM harI rAma ranadhIrA||
dekhi rAma bala pauruSha bhArI| haraShi payonidhi bhayau sukhArI||
sakala charita kahi prabhuhi sunAvA| charana baMdi pAthodhi sidhAvA||
ChaM0-nija bhavana gavaneu siMdhu shrIraghupatihi yaha mata bhAyaU|
yaha charita kali malahara jathAmati dAsa tulasI gAyaU||
sukha bhavana saMsaya samana davana biShAda raghupati guna ganA||
taji sakala Asa bharosa gAvahi sunahi saMtata saTha manA||
do0-sakala sumaMgala dAyaka raghunAyaka guna gAna|
sAdara sunahiM te tarahiM bhava siMdhu binA jalajAna||60||

iti shrImadrAmacharitamAnase sakalakalikaluShavidhvaMsane
pa~nchamaH sopAnaH samAptaH|
sampUrNa sundarakANDa pATha,
(iti sundarakANDa samApta)

|sundarakANDa samApana dohA|
kathA visarjana hota hai,
sunahu vIra hanumAna|
jo jana jahA.N se Ata hai,
jaha taha karo prayANa||
rAma lakhana siyA jAnakI,
sadA karahU.N kalyANa|
rAmAyaNa vaikuNTha kI,
vidA hota hanumAna||
siyAvara rAmachaMdra kI jaya|
pavanasuta hanumAna kI jaya|

ye bhI dekhe
shrI hanumAna chAlIsA|
shrI hanumAna jI kI AratI|
shrI rAmAyaNa jI kI AratI|
shrI rAmAyaNa visarjana vaMdanA|

सम्पूर्ण सुन्दरकाण्ड पाठ हिंदी Video

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