Mati kahe kumhar se, Anup Jalota - \\\\\\\"Mati kahe kumhar se\\\\\\\"
Mati kahe kumhar se, Anup Jalota - \\\"Mati kahe kumhar se\\\"

Anup Jalota – “Mati kahe kumhar se”

माटी कहे कुम्हार से,
तू क्या रोंदे मोहे।
एक दिन ऐसा आएगा,
मैं रोंदूगी तोहे॥

आये हैं तो जायेंगे,
राजा रंक फ़कीर।
एक सिंहासन चडी चले,
एक बंधे जंजीर॥

दुर्बल को ना सतायिये,
जाकी मोटी हाय।
बिना जीब के हाय से,
लोहा भस्म हो जाए॥

माटी कहे कुम्हार से,
तू क्या रोंदे मोहे।
एक दिन ऐसा आएगा,
मैं रोंदूगी तोहे॥

चलती चक्की देख के,
दिया कबीरा रोये।
दो पाटन के बीच में,
बाकी बचा ना कोई॥

दुःख में सुमिरन सब करे,
सुख में करे ना कोई।
जो सुख में सुमिरन करे,
दुःख कहे को होए॥

माटी कहे कुम्हार से,
तू क्या रोंदे मोहे।
एक दिन ऐसा आएगा,
मैं रोंदूगी तोहे॥

पत्ता टूटा डाल से,
ले गयी पवन उडाय।
अबके बिछड़े कब मिलेंगे
दूर पड़ेंगे जाय॥

कबीर आप ठागायिये
और ना ठगिये।
आप ठगे सुख उपजे,
और ठगे दुःख होए॥

माटी कहे कुम्हार से,
तू क्या रोंदे मोहे।
एक दिन ऐसा आएगा,
मैं रोंदूगी तोहे, मैं रोंदूगी तोहे॥
मैं रोंदूगी तोहे।

माटी कहे कुम्हार से,
तू क्या रोंदे मोहे।

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See also  Bhagavad Gita: Chapter 11, Verse 11

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