17 (13), Bhagavad Gita: Chapter 14, Verse 17
17 (13), Bhagavad Gita: Chapter 14, Verse 17

सत्वात्सञ्जायते ज्ञानं रजसो लोभ एव च |
प्रमादमोहौ तमसो भवतोऽज्ञानमेव च || 17||

sattvāt sañjāyate jñānaṁ rajaso lobha eva cha
pramāda-mohau tamaso bhavato ’jñānam eva cha

Audio

भावार्थ:

सत्त्वगुण से ज्ञान उत्पन्न होता है और रजोगुण से निःसन्देह लोभ तथा तमोगुण से प्रमाद (इसी अध्याय के श्लोक 13 में देखना चाहिए) और मोह (इसी अध्याय के श्लोक 13 में देखना चाहिए।) उत्पन्न होते हैं और अज्ञान भी होता है॥17॥

Translation

From the mode of goodness arises knowledge, from the mode of passion arises greed, and from the mode of ignorance arise negligence and delusion.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

See also  ओ मैया मैहर वाली क्या तेरे मन में समाई, पर्वत पै कुटिया बनाई,तूने पर्वत पै कुटिया बनाई

Browse Temples in India

Recent Posts