जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये । ते ब्रह्म तद्विदुः कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम्‌ ॥
जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये । ते ब्रह्म तद्विदुः कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम्‌ ॥

जरामरणमोक्षाय मामाश्रित्य यतन्ति ये |
ते ब्रह्म तद्विदु: कृत्स्नमध्यात्मं कर्म चाखिलम् || 29||

jarā-maraṇa-mokṣhāya mām āśhritya yatanti ye
te brahma tadviduḥ kṛitsnam adhyātmaṁ karma chākhilam

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भावार्थ:

जो मेरे शरण होकर जरा और मरण से छूटने के लिए यत्न करते हैं, वे पुरुष उस ब्रह्म को, सम्पूर्ण अध्यात्म को, सम्पूर्ण कर्म को जानते हैं॥29॥

Translation

Those who take shelter in me, striving for liberation from old-age and death, come to know Brahman, the individual self, and the entire field of karmic action.

English Translation Of Sri Shankaracharya’s Sanskrit Commentary By Swami Gambirananda

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