(ज्ञानसहित प्रकृति-पुरुष का विषय) ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायांयोगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोगो नाम त्रयोदशोऽध्यायः॥13॥ Chapter 13 – The Bhagawad Gita (ज्ञानसहित क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ का विषय) Chapter 13, Verse 2 श्रीभगवानुवाच-इदं शरीरं कौन्तेय क्षेत्रमित्यभिधीयते।एतद्यो वेत्ति तं प्राहुः क्षेत्रज्ञ इति तद्विदः॥ The Supreme Divine Lord said: O Arjun, this body is termed as kṣhetra (the field of activities), and the one who […]
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Chapter 12 – The Bhagawad Gita
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायांयोगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे भक्तियोगो नाम द्वादशोऽध्यायः ॥12॥ (साकार और निराकार के उपासकों की उत्तमता का निर्णय और भगवत्प्राप्ति के उपाय का विषय) Chapter 12 – The Bhagawad Gita Chapter 12, Verse 1 अर्जुन उवाच-एवं सततयुक्ता ये भक्तास्त्वां पर्युपासते ।ये चाप्यक्षरमव्यक्तं तेषां के योगवित्तमाः ॥ Arjun inquired: Between those who are steadfastly devoted to […]
Chapter 11 – The Bhagawad Gita
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायांयोगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे विश्वरूपदर्शनयोगो नामैकादशोऽध्यायः ॥11॥ ( विश्वरूप के दर्शन हेतु अर्जुन की प्रार्थना ) Chapter 11 – The Bhagawad Gita Chapter 11, Verse 1 अर्जुन उवाच-मदनुग्रहाय परमं गुह्यमध्यात्मसञ्ज्ञितम् । यत्त्वयोक्तं वचस्तेन मोहोऽयं विगतो मम ॥ Arjun said: Having heard the supremely confidential spiritual knowledge, which you have revealed out of compassion […]
Chapter 10 – The Bhagawad Gita
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायांयोगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे विभूतियोगो नाम दशमोऽध्यायः ॥10। ( भगवान की विभूति और योगशक्ति का कथन तथा उनके जानने का फल) Chapter 10 – The Bhagawad Gita Chapter 10, Verse 1 श्रीभगवानुवाच-भूय एव महाबाहो श्रृणु मे परमं वचः ।यत्तेऽहं प्रीयमाणाय वक्ष्यामि हितकाम्यया ॥ The Blessed Lord said: Listen again to my divine teachings, O […]
Chapter 9 – The Bhagawad Gita
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्री कृष्णार्जुनसंवादे राजविद्याराजगुह्ययोगो नाम नवमोऽध्यायः ॥9॥ ( प्रभावसहित ज्ञान का विषय ) Chapter 9 – The Bhagawad Gita Chapter 9, Verse 1 श्रीभगवानुवाच-इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे ।ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ॥ The Supreme Lord said: O Arjun, because you are not envious of Me, I shall now impart to […]
Chapter 8 – The Bhagawad Gita
ॐ तत्सदिति श्री मद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्री कृष्णार्जुनसंवादे अक्षर ब्रह्मयोगो नामाष्टमोऽध्यायः ॥8॥ ( ब्रह्म, अध्यात्म और कर्मादि के विषय में अर्जुन के सात प्रश्न और उनका उत्तर ) Chapter 8 – The Bhagawad Gita Chapter 8, Verse 1 अर्जुन उवाच-किं तद्ब्रह्म किमध्यात्मं किं पुरुषोत्तम ।अधिभूतं च किं प्रोक्तमधिदैवं किमुच्यते ॥ Arjun said: O Supreme Lord, […]
Chapter 7 – The Bhagawad Gita
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे ज्ञानविज्ञानयोगो नाम सप्तमोऽध्यायः ॥7॥ ( विज्ञान सहित ज्ञान का विषय ) Chapter 7 – The Bhagawad Gita Chapter 7, Verse 1 श्रीभगवानुवाच- मय्यासक्तमनाः पार्थ योगं युञ्जन्मदाश्रयः ।असंशयं समग्रं मां यथा ज्ञास्यसि तच्छृणु ॥ The Supreme Lord said: Now listen, O Arjun, how, with the mind attached exclusively to me, […]
Chapter VI – The Bhagawad Gita
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे आत्मसंयमयोगो नाम षष्ठोऽध्यायः ॥6॥ (कर्मयोग का विषय और योगारूढ़ पुरुष के लक्षण ) Chapter VI – The Bhagawad Gita Chapter 6, Verse 1 श्रीभगवानुवाच- अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः ।स सन्न्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः ॥ The Supreme Lord said: Those who perform prescribed duties without desiring […]
Chapter V – The Bhagawad Gita
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे कर्मसंन्यासयोगो नाम पंचमोऽध्यायः ॥5॥ (सांख्ययोग और कर्मयोग का निर्णय ) Chapter V – The Bhagawad Gita Chapter 5, Verse 1 अर्जुन उवाच- सन्न्यासं कर्मणां कृष्ण पुनर्योगं च शंससि । यच्छ्रेय एतयोरेकं तन्मे ब्रूहि सुनिश्चितम् ॥ Arjun said: O Shree Krishna, You praised karm sanyās (the path of renunciation of actions), and You […]
The Bhagawad Gita: Chapter IV
ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासूपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां योगशास्त्रेश्रीकृष्णार्जुनसंवादे ज्ञानकर्मसंन्यास योगो नाम चतुर्थोऽध्यायः ॥ 4॥ ( सगुण भगवान का प्रभाव और कर्मयोग का विषय ) The Bhagawad Gita: Chapter IV Chapter 4, Verse 1 श्री भगवानुवाच- इमं विवस्वते योगं प्रोक्तवानहमव्ययम् । विवस्वान्मनवे प्राह मनुरिक्ष्वाकवेऽब्रवीत् ॥ The Supreme Lord Shree Krishna said: I taught this eternal science of Yog to […]